नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के पक्ष में बड़ी बात कही है। कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को राज्यों के अलग-अलग इलाकों में तैनात केंद्रीय अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए राज्य सरकार से इजाजत लेने की जरूरत नहीं है। न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने भ्रष्टाचार के एक मामले में केंद्र सरकार के दो कर्मचारियों के खिलाफ सीबीआई जांच को रद्द करने के आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को पलट दिया।
पीठ ने कहा कि पोस्टिंग की जगह चाहे जो भी हो, यह स्पष्ट रूप से प्रतीत होता है कि आरोपी केंद्रीय कर्मचारी थे और उन्होंने कथित तौर पर केंद्रीय अधिनियम, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत गंभीर अपराध किए थे। इसके लिए सीबीआई को राज्य सरकार से इजाजत लेने की जरूरत नहीं है।
यह मामला आंध्र प्रदेश में कार्यरत केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ सीबीआई की एफआईआर से जुड़ा है। सीबीआई की एफआईआर दर्ज करने वाले आरोपी ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में सीबीआई के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देते हुए तर्क दिया था कि दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 (डीएसपीई अधिनियम) के तहत सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति आंध्र प्रदेश पर लागू नहीं होती है। उच्च न्यायालय ने इस तर्क से सहमति व्यक्त की और एफआईआर को रद्द कर दिया और इस बात पर जोर दिया कि सीबीआई को नई एफआईआर दर्ज करने के लिए आंध्र प्रदेश सरकार की मंजूरी लेनी होगी।