नई दिल्ली। भारत की ब्रह्मोस मिसाइल की मांग दुनियाभर में बढ़ती जा रही है। कभी सबसे बड़े हथियार आयातक रहे भारत के लिए यह एक बड़ी सफलता है। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुबियांतो गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत आ रहे हैं। दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम देश के राष्ट्रपति के साथ भारत कई समझौते कर सकता है। इनमें से एक समझौता ब्रह्मोस मिसाइल के लिए भी है। इस मिसाइल को भारत और रूस मिलकर विकसित कर रहे हैं, जिसकी मांग कई देश कर रहे हैं। माना जा रहा है कि इस दौरे में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ब्रह्मोस मिसाइल को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे और अगले कुछ सालों में इसकी डिलीवरी कर दी जाएगी।
दिल्ली में आयोजित गणतंत्र परेड में इंडोनेशिया के 400 सैनिक भी हिस्सा लेंगे। यह आयोजन इसलिए भी ऐतिहासिक होगा, क्योंकि आज तक किसी भी मेजबान देश ने गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने के लिए इतनी संख्या में सैनिक नहीं भेजे हैं। इंडोनेशिया भारत के साथ ब्रह्मोस मिसाइल सौदे पर हस्ताक्षर करने वाला दक्षिण पूर्व एशिया का तीसरा देश है। इससे पहले फिलीपींस ने यह मिसाइल भारत से खरीदी है। इसके अलावा वियतनाम ने मिसाइलों की खरीद के लिए भी डील फाइनल कर ली है। 2020 में प्रबोवो सुबियांतो रक्षा मंत्री बनकर भारत आए थे। बताया जा रहा है कि इस बीच उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की और मिसाइल खरीदने की इच्छा जताई थी। लेकिन, इंडोनेशिया के पास बजट की कमी के कारण इसे टाल दिया गया था।
अब प्रबोवो सुबिआंतो खुद सत्ता में हैं और पहला साल जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए समर्पित करना चाहते हैं। ऐसे में वह नये वित्तीय वर्ष में हथियार खरीद सकते हैं। इंडोनेशिया के साथ भारत के बहुत अच्छे संबंध रहे हैं। भले ही इंडोनेशिया दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश है, लेकिन सांस्कृतिक रूप से यह सनातन का प्रतीक है। इससे इंडोनेशिया और भारत के बीच नजदीकियां बढ़ी हैं। इसके अलावा इंडोनेशिया भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में भी प्रमुख भागीदार रहा है। भारत के नजरिए से यह उत्साहजनक है कि ब्रह्मोस जैसी मिसाइल की मांग कई देशों से हो रही है।
ब्रह्मोस मिसाइल की खास बात यह है कि इसे पानी, जमीन और हवा से लॉन्च किया जा सकता है। यह मिसाइल करीब 650 किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन पर वार कर सकती है। यह दूर से ही अपने लक्ष्य को भेद सकती है। खास बात यह है कि इस मिसाइल को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पर लक्ष्य को भेदने के बाद भी भटकती नहीं है। ये मिसाइलें समुद्र से लेकर ऊंचे पहाड़ों तक दुश्मन के ठिकानों पर हमला कर सकती है।