प्रयागराज। भाले, तलवार, त्रिशूल के साथ हैरतअंगेज करतब दिखाते नागा साधुओं का जुलूस जब सड़क पर निकला तो भक्तिभाव से ओतप्रोत महिला, पुरुष और बच्चे भावुक हो गए। उसे देखकर लोक खुद को भाग्यशाली महसूस कर रहे थे। पुष्पवर्षा और जयकारे लगाकर नागा संतों का स्वागत किया गया।
जैसे ही नागा संत आगे बढ़े, लोग सड़कों से धूल उठाकर उसे अपने सिर पर लगाया और परम आनंद का अनुभव किया। श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़े के शिविर प्रवेश के दौरान भव्य जुलूस निकाला गया। इस दौरान जन आस्था, अधिकार अखाड़े ने भव्य और शाही अंदाज में यात्रा का आयोजन किया था। जगह-जगह श्रद्धालुओं और अधिकारियों ने पुष्पवर्षा और जयकारे लगाकर संतों का स्वागत किया।
13 अखाड़ों में से सबसे पहले अस्तित्व में आने वाले श्रीपंच दशनाम आवाहन अखाड़े के संतों ने मडौका स्थित आश्रम में विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। पूजा-अर्चना के बाद अस्त्र-शस्त्र के साथ शिविर प्रवेश यात्रा शुरू हुई। अखाड़े की आराध्य सिद्धि विनायक गणेश की पालकी थी। उनके पीछे संतों का लंबा जुलूस चल रहा था।
अखाड़े के प्रधान महामंडेलश्वर स्वामी अरुण गिरि के नेतृत्व में शिविर प्रवेश जुलूस नए यमुना पुल से गुजरा और मेला मैदान में प्रवेश किया। स्वामी अरुण गिरि के मुताबिक आवाहन अखाड़ा सबसे पुराना है। प्रयागराज में अब तक 122 महाकुंभ और 123 कुंभ हो चुके हैं। अखाड़ा अपने अनूठे संकल्प के साथ महाकुंभ क्षेत्र में उतर चुका है। विभिन्न मार्गों से गुजरते हुए अखाड़े ने त्रिवेणी पोंटून पुल से होते हुए अपने शिविर में प्रवेश किया। अखाड़े के श्रीमहंत गोपाल गिरि ने बताया कि मेला क्षेत्र स्थित शिविर में धर्मध्वजा के पास संतों ने डेरा डाल दिया है।
आवाहन अखाड़े के शिविर प्रवेश जुलूस में रथों पर सवार महामंडलेश्वरों के अलावा नागा संत घोड़ों और ऊंटों पर सवार थे। उधर, सभी संत ध्वज लेकर पैदल ही आगे बढ़े। अखाड़े के आराध्य देव गजानन के रथ को फूलों से सजाया गया। फिर अखाड़े के पंच परमेश्वर और उसके बाद अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर का रथ चल रहा था। संतों ने पेड़ लगाएं, प्रकृति बचाएं का मंत्रोच्चार कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
स्वामी अरुण गिरि का कहना है कि हमारे अखाड़े का मूल उद्देश्य सनातन को बढ़ावा देना और धर्म की रक्षा करना है। लेकिन वर्तमान में प्रकृति के सामने सबसे बड़ा खतरा पर्यावरण की रक्षा करना है। इसलिए हम प्रकृति बचाओ महाअभियान के तहत सनातनी लोगों और भक्तों से पेड़ लगाने का संकल्प ले रहे हैं। महाकुंभ में श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में 51 हजार फलदार पौधे बांटे जाएंगे।