हैदराबाद। देशभर में जहां वक्फ बिल-2024 का मुद्दा छाया हुआ है, वहीं आंध्र प्रदेश की चंद्रबाबू नायडू सरकार ने वक्फ बोर्ड को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने पिछली जगन मोहन सरकार द्वारा बनाए गए वक्फ बोर्ड को भंग कर दिया है। राज्य के कानून एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री एन मोहम्मद फारूक ने कहा कि इस मामले में शनिवार को आदेश जारी कर दिये गये हैं।
चंद्रबाबू नायडू सरकार ने पुराने वक्फ बोर्ड को खत्म कर नया बोर्ड बनाने का ऐलान किया है। वर्तमान सरकार ने पिछली सरकार के दौरान अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा जारी जीओ-47 को रद्द करते हुए जीओ-75 जारी कर दिया है। सरकार ने GO-75 को रद्द करने के कई कारण बताए हैं।
पिछली जगन मोहन रेड्डी सरकार द्वारा लाए गए GA-47 के खिलाफ 13 रिट याचिकाएं दायर की गई हैं। पुराने बोर्ड में सुन्नी और शिया समुदाय के स्कॉलर्स का कोई प्रतिनिधित्व नहीं था। इसके अलावा पूर्व सांसदों को भी बोर्ड में शामिल नहीं किया गया था। बार काउंसिल कैटेगरी से, कनिष्ठ अधिवक्ताओं का चयन उचित मानदंडों के बिना किया गया था, इससे केस दायर करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ताओं के हितों को नुकसान पहुंचा है। सरकार ने पुराने बोर्ड की खामियां बताते हुए यह भी कहा है कि एसके खाजा को बोर्ड के सदस्य के रूप में चुना गया था, हालांकि उनके खिलाफ कई शिकायतें मिली थीं। विभिन्न अदालती मामलों के कारण अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो सका। वक्फ बोर्ड मार्च 2023 से निष्क्रिय है, जिसके कारण काम रुका हुआ है।
गौरतलब है कि पिछले काफी समय से देशभर में ‘वक्फ बिल-2024’ की चर्चा चल रही है। केंद्र सरकार ने इस बिल को संसद में भी पेश किया था, लेकिन यह पारित नहीं हो सका। इसलिए अब यह बिल बजट सत्र-2025 में पेश किया जाएगा। वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 में पेश किया गया एक विधायी प्रस्ताव है, जिसका उद्देश्य वक्फ बोर्ड के कामकाज में सुधार और पारदर्शिता लाना है। वक्फ बोर्ड जो भारतीय मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों का प्रबंधन करता है। इस बिल में कुछ संशोधन प्रस्तावित किये गये हैं।