संभल। उत्तर प्रदेश के संभल की जामा मस्जिद में रविवार को भारी बवाल हो गया, सर्वे से नाराज लोगों ने पुलिस पर पथराव कर दिया। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। कोर्ट के आदेश के बाद आज रविवार को दूसरी बार टीम सर्वे करने पहुंची तो गुस्से में भीड़ ने पुलिस पर हमला कर दिया। भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया। घटना का वीडियो सामने आया है जिसमें पुलिस और एसपी हेलमेट पहने नजर आ रहे हैं और दूसरी तरफ से पथराव किया जा रहा है, फिलहाल संभल में हालात तनावपूर्ण हैं।
रविवार को सुबह करीब 7:00 बजे संभल के डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया और एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई के साथ एक सर्वे टीम जामा मस्जिद पहुंची। इस दौरान एडवोकेट कमिश्नर रमेश राधव की अगुवाई में मस्जिद का सर्वे शुरू हुआ। जैसे ही मस्जिद पर सर्वे की जानकारी स्थानीय लोगों को मिली, मुस्लिम समुदाय के लोग बड़ी संख्या में मस्जिद के बाहर जमा हो गए।
डीएम और एसपी जब भीड़ को समझाने पहुंचे तो लोगों ने नारेबाजी शुरू कर दी। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए जामा मस्जिद के सदर ने मस्जिद के अंदर से घोषणा की, लेकिन भीड़ नहीं हटी और कुछ मिनटों के बाद पथराव शुरू हो गया।
बता दें, यह विवाद 19 नवंबर को शुरू हुआ, जब मस्जिद के हरिहर मंदिर होने का दावा किया गया और सर्वे किया गया। 19 नवंबर को संभल जिले के चंदौसी में सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य सिंह की अदालत ने जामा मस्जिद के एडवोकेट कमिश्नर को सर्वे करने का आदेश दिया था। याचिकाकर्ता अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए ‘एडवोकेट कमीशन’ गठित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि आयोग की ओर से वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी सर्वे कराया जाए और कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल की जाए।
इस मामले में एएसआई, उत्तर प्रदेश सरकार, जामा मस्जिद कमेटी और संभल के जिलाधिकारी को पक्षकार बनाया गया है। अधिवक्ता विष्णु जैन ने कहा कि संभल में हरिहर मंदिर हमारी आस्था का केंद्र है। हमारी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दशावतार में कल्कि अवतार यहीं से माना जाता है। साल 1529 में बाबर ने मंदिर को तोड़कर मस्जिद में बदलने की कोशिश की थी। यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित क्षेत्र है। किसी भी प्रकार का कोई अतिक्रमण नहीं हो सकेगा। ऐसे कई चिन्ह और प्रतीक हैं जो हिंदू मंदिरों से संबंधित हैं। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है।