नई दिल्ली। भारतीय कारोबारी गौतम अडानी पर अमेरिका में धोखाधड़ी और रिश्वतखोरी का आरोप लगाया गया है। बुधवार को न्यूयॉर्क में दायर मामले में उन पर अमेरिका में अपनी एक कंपनी का ठेका दिलाने के बदले 250 मिलियन डॉलर (करीब 20.75 अरब रुपये) की रिश्वत देने और इसे छुपाने का आरोप लगाया गया है.
अमेरिकी अभियोजकों (सरकारी वकील) का आरोप है कि अडानी और उनकी कंपनी के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने एक नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी को अनुबंध देने के बदले में भारतीय अधिकारियों को भुगतान करने का वादा किया था। इस अनुबंध से कंपनी को 20 वर्षों में 2000 (दो हजार) अरब डॉलर से अधिक का मुनाफ़ा होने की उम्मीद थी। हालांकि, आरोप को लेकर अडानी ग्रुप की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट ने न केवल गौतम अडानी बल्कि सात लोगों पर अरबों डॉलर की धोखाधड़ी और रिश्वतखोरी का आरोप लगाया है। अडानी ने भारतीय अधिकारियों को अरबों रुपये की रिश्वत देने के लिए अमेरिका से धन जुटाने का फैसला किया और उन पर अमेरिकी और विदेशी निवेशकों और बैंकों से झूठ बोलने का भी आरोप है।
आरोपियों में गौतम अडानी के भतीजे और अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के अधिकारी सागर अडानी और विनीत जैन का नाम भी शामिल है। इस मामले में सिरिल कैबनेस, सौरभ अग्रवाल, दीपक मल्होत्रा और रूपेश अग्रवाल को भी आरोपी बनाया गया है। एफबीआई अधिकारी जेम्स डेनेही ने कहा कि आरोपी ने न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने की कोशिश की।
इस केस से जुड़ी मुख्य बातें:
- वर्ष 2020 और 2024 के बीच, अडानी ने भारत सरकार से सौर ऊर्जा अनुबंध प्राप्त करने के लिए अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने देने को तैयार हो गए। योजना के लिए सागर अडानी और विनीत ने बैठक की.
- बाद में रिश्वत वसूलने के लिए अडानी ने अमेरिकी निवेशकों से अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड कॉन्ट्रैक्ट के नाम पर तीन अरब डॉलर का फंड जुटाया।
- एफबीआई और यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन की जांच रोकने की भी कोशिश की। योजना से जुड़े ईमेल, संदेश और विश्लेषण हटा दिए गए।