इम्फाल। मणिपुर में एक बार फिर हालात बेकाबू हो गए हैं। राज्य के ज्यादातर हिस्सों में हिंसा और तनाव का माहौल है। हालिया हिंसा में विधायकों और मंत्रियों के घरों को निशाना बनाया जा रहा है। सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लगभग 5,000 अतिरिक्त केंद्रीय सुरक्षा बलों को तैनात किया है। 7 नवंबर को जिरीबाम जिले के जयरावन गांव में कुकी समुदाय की एक महिला की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद हिंसा भड़क उठी थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 1 अक्टूबर से 18 नवंबर के बीच जिरीबाम जिले में हत्या, आगजनी और गोलीबारी समेत हिंसा की कम से कम 16 अलग-अलग घटनाएं हुईं। जिरीबाम में 7 नवंबर से 18 नवंबर के बीच हुई झड़पों में 20 लोग मारे गए। जिरीबाम और मैतेई बहुल घाटी इलाकों में बड़े पैमाने पर हिंसक हमले हुए। सबसे ज्यादा लोग 11 नवंबर को मारे गए थे, जब कुकी समुदाय के आतंकवादियों ने जिरीबाम में जकुरधोर और बोरोबेकरा पुलिस स्टेशनों के पास केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की चौकियों पर हमला किया था। जवाबी कार्रवाई में 10 कुकी आतंकी मारे गए। हमले के दौरान उग्रवादियों ने कई दुकानों और घरों में आग लगा दी, जिसमें दो नागरिकों की मौत हो गई। हमलावरों ने एक ही परिवार के छह सदस्यों का अपहरण कर लिया, जिनकी बाद में हत्या कर दी गई। उनके शव असम में मिले थे। मृतक मैतेई समुदाय से थे। मणिपुर में करीब 19 महीने से तनाव व्याप्त है, लेकिन हिंसा की आंच अभी तक नागा जनजातियों के निवास वाले इलाकों तक नहीं पहुंची है। लेकिन अब धीरे-धीरे नागा इलाकों में भी हिंसा फैलने लगी है। इस महीने की शुरुआत में नोनी जिले में कुकी आतंकवादियों द्वारा कथित तौर पर दो ट्रकों में आग लगाने के बाद नागा और कुकी समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया था। 2 अक्टूबर को उखरुल जिले के नागा बहुल इलाके में दो गांवों के बीच झड़प के बाद, एक पुलिस शस्त्रागार को लूट लिया गया, जिसमें कम से कम चार लोग मारे गए और 40 अन्य घायल हो गए।