लखनऊ। प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक मामूली विवाद में पुलिस ने मोहित पांडेय नामक शख्स को हिरासत में लिया था। रात डेढ़ बजे जानकारी सामने आई कि उसकी तबीयत खराब हो गई और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। पुलिस हिरासत में युवक की मौत से पूरे प्रदेश में हंगामा मचा हुआ है। पुलिस की पिटाई से युवक की मौत होने के आरोप लगाए जा रहे हैं। ये वाकया लखनऊ के चिनहट थाने का है।
पुलिस ने बताया कि आदेश और मोहित के बीच छोटी सी बात पर विवाद हुआ था। आदेश के चाचा स्थानीय नेता हैं। उनके दबाव में पुलिस ने मोहित को हिरासत में लिया था। मोहिल से मिलने गए उसके भाई शोभाराम को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया। रात में मोहित को लोहिया अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। लॉकअप में युवक की मौत के बाद थाना इंचार्ज अश्विनी कुमार के खिलाफ धारा 302 के तहत केस दर्ज किया गया है और उन्हें पद से हटा दिया गया है। सब इंस्पेक्टर भरत कुमार पाठक को थाने का चार्ज सौंपा गया है। मृतक के परिवारवालों ने 50 लाख मुआवजा और मोहित की पत्नी को सरकारी नौकरी देने की मांग की है।
पुलिस कस्टडी में युवक की मौत होने पर सियासत गरमाने लगी है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया(X) पर पोस्ट किया है- प्रदेश की राजधानी में पिछले 16 दिनों में पुलिस हिरासत में मौत की दूसरी घटना है। सरकार को अब पुलिस हिरासत का नाम बदलकर अत्याचार गृह रख देना चाहिए।
वहीं, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा कि लखनऊ में दो युवकों को हिरासत में लिया गया, अगली सुबह एक की मौत हो गई। एक पखवाड़े में पुलिस हिरासत में यह दूसरी मौत है।