नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता अधिनियम 1955 के अनुच्छेद 6ए, जिसे असम समझौते के रूप में जाना जाता है, की वैधता को बरकरार रखा है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ सहित 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस धारा की वैधता को बरकरार रखा और उन अपीलों को खारिज कर दिया कि इससे प्रवासियों के कारण स्थानीय भाषा और संस्कृति को नुकसान पहुंचा है।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि असम समझौता अनियमित प्रवासन की समस्या का एक राजनीतिक समाधान है और अनुच्छेद 6ए एक संवैधानिक समाधान है। बहुमत ने पाया कि संसद ने इस प्रावधान के कार्यान्वयन को विधायी मान्यता दे दी है। जिसे स्थानीय आबादी की सुरक्षा आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए मानवतावाद को बनाए रखने के लिए लागू किया गया है। जज ने कहा कि बांग्लादेश की सीमा से लगे राज्यों में असम में सबसे ज्यादा 40 लाख पर्यटक आते हैं. हालांकि, संख्या के हिसाब से पश्चिम बंगाल में 56 लाख से ज्यादा पर्यटक आते हैं, लेकिन क्षेत्रफल के हिसाब से असम बंगाल से आधा है। इसलिए यह प्रावधान असम के लिए बहुत जरूरी है।
बता दें, धारा 6ए की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाते हुए 17 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। धारा 6ए को असम समझौते के तहत संविधान के नागरिकता अधिनियम में शामिल लोगों की नागरिकता से निपटने के लिए एक विशेष प्रावधान के रूप में शामिल किया गया था।