गांधीनगर। गांधीनगर जिले के रूपाल गांव में वर्षों से पल्ली मेला आयोजित किया जाता रहा है। इस बार भी नवरात्रि पर नवमी के दिन यानी 11 अक्टूबर को रात 12 बजे वरदायी माताजी की शोभायात्रा निकाली गई और उन पर हजारों किलो शुद्ध घी से अभिषेक किया गया। इस दौरान हजारों किलो घी रास्ते पर बह गया। लोगों की मान्यता है कि इस घी से कपड़े पर दाग नहीं लगते हैं। मन्नत पूरी होने के बाद लोग घी से वरदायी माता का अभिषेक करते हैं। अभिषेक के दौरान रास्ते पर गिरा घी एक समाज के लोग इकट्ठा करके उसका इस्तेमाल करते हैं।
वरदायी माता ट्रस्ट के अनुसार, त्रेता युग में भगवान श्रीराम अपने पिता के आदेशानुसार 14 वर्ष के लिए वनवास गए थे। भरत मिलाप के बाद श्री श्रृंगी ऋषि के आदेश पर उन्होंने भाई लक्ष्मण और सीता के साथ वरदायी माता के दर्शन किये और पूजा की। तब वरदायी मां ने प्रसन्न होकर भगवान राम को आशीर्वाद दिया और उन्हें शक्ति नामक एक शक्तिशाली दिव्य हथियार दिया था। भगवान श्रीराम ने उसी बाण से अजेय रावण का वध किया था।
एक लोकोक्ति यह भी है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव यहीं अपना हथियार छिपाकर रखे थे। अज्ञातवास पूरा करने के बाद पांडव विराटनगर यानी वर्तमान ढोलका से लौटकर आए और रुपाल में रखे हथियारों को इकट्ठा किया। इसके बाद हथियारों की पूजा की और पांच दीपक के साथ एक पल्ली बनाई और माताजी को अर्पित की। कहा जाता है कि तभी से यहां माताजी की पल्ली की परंपरा शुरू हुई। पांडवों के वनवास से जुड़ी यह परंपरा आज भी कायम है।