मंुबई। माैजूदा खरीफ सीजन में देश में गन्ना उत्पादन कम होने की संभावना को देखते हुए उम्मीद है कि चीनी निर्यात पर प्रतिबंध लगातार दूसरे साल बढ़ाया जा सकता है। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में अत्यधिक बारिश के कारण गन्ने की फसलें बर्बाद हो गई हैं। इथेनॉल के लिए चीनी की बढ़ती घरेलू खपत भी निर्यात पर प्रतिबंध का एक कारण है।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि सरकार चीनी मिलों से खरीदे जाने वाले इथेनॉल की न्यूनतम कीमत बढ़ाने की भी योजना बना रही है। न्यूयॉर्क और लंदन में बेंचमार्क कीमतें बढ़ गई हैं, क्योंकि विश्व बाजार में भारत की चीनी की आपूर्ति रुक गई है। ब्राजील में सूखे की स्थिति के परिणामस्वरूप चीनी की आपूर्ति प्रभावित हुई है। ब्राजील दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक है।
चीनी की घरेलू मांग को पूरा करने के बाद सरकार की दूसरी प्राथमिकता इथेनॉल मिश्रण है। देश में पेट्रोल से फैलने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार का इसमें इथेनॉल का मिश्रण बढ़ाने का लक्ष्य है।
सूत्रों ने बताया कि सरकार अक्टूबर से शुरू होने वाले नए चीनी सीजन के लिए इथेनॉल खरीद मूल्य पांच प्रतिशत बढ़ाने पर विचार कर रही है। 2024-25 के सीजन में चीनी का उत्पादन घटकर 3.20 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो चालू सीजन में 3.40 करोड़ टन पर नजर आ रहा है। गन्ने के रस या सिरप का उपयोग इथेनॉल के उत्पादन में किया जाता है।