Friday, March 21, 2025
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल संचय जन भागीदारी योजना की शुरुआत की

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गुजरात के सूरत में जल संचय, जन भागीदारी योजना की शुरुआत की। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि आज का ये कार्यक्रम गुजरात की धरती पर प्रारंभ हो रहा है। जहां पानी बचाने और जन-जन तक पानी पहुंचाने की दिशा में कई सफल प्रयोग हुए हैं। दो-ढाई दसक पहले पानी के बगैर सौराष्ट्र के क्या हालात थे, उत्तर गुजरात की क्या दशा थी हमें पता है। पीएम मोदी ने कहा कि जल संचय को लेकर जिस विजन की जरूरत थी, पहले की सरकारों में उसकी कमी थी। मेरा संकल्प था कि मैं दुनिया को दिखाकर रहूंगा कि जल संकट का भी समाधान हो सकता है। जहां पानी की पर्याप्तता थी वहां से पानी जल संकट वाले इलाकों में पहुंचाया गया। गुजरात की सफलता, गुजरात के अनुभव मुझे ये भरोसा दिलाते हैं कि हम देश को जल संकट से निजात दिला सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जल संचय जन भागीदारी योजना के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले दिनों देश के हर कोने में जो वर्षा का तांडव हुआ, देश का शायद ही कोई इलाका होगा जिसको इस मुसीबत से संकट को झेलना न पड़ा हो। मैं कई वर्षों तक गुजरात का मुख्यमंत्री रहा लेकिन एक साथ इतने सभी तहसीलों में, इतनी तेज बारिश मैंने न कभी सुनी और न कभी देखी थी। लेकिन इस बार गुजरात में बहुत बड़ा संकट आया। सारी व्यवस्थाओं की ताकत धरी थी कि प्रकृति के इस प्रकोप के सामने हम टिक पाएं। गुजरात के लोगों का अपना एक स्वभाव है, देशवासियों का स्वभाव और सामर्थ है कि संकट की घड़ी में कंधे से कंधा मिलाकर हर कोई हर किसी की मदद करता है। आज भी देश के कई भाग ऐसे हैं जो भयंकर परिस्थितियों के कारण परेशानियों से गुजर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण, प्रकृति संरक्षण हमारे लिए नए शब्द नहीं हैं। ये भारत की सांस्कृतिक चेतना का हिस्सा है। हम उस संस्कृति के लोग हैं, जहां जल को ईश्वर का रूप कहा गया है। नदियों को देवी माना गया और सरोवरों, कुंडों को देवालय का दर्जा मिला है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैंने सरदार सरोवर बांध को पूरा करने की चुनौती ली थी और कई चुनौतियों और बाधाओं के बावजूद गुजरात में जल संरक्षण पहल की शुरुआत की। शुरुआत में हमारे विरोधियों ने हम पर तंज कसे कि जो पाइप डाले जा रहे हैं, उनसे पानी की जगह हवा की सप्लाई होगी, लेकिन हमारी मेहनत का फल मिला और इसे अब पूरी दुनिया देख रही है।
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