सूरत। प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी की वर्चुअल मौजूदगी में भारत सरकार और गुजरात सरकार की संयुक्त पहल पर जल संचय जन भागीदारी’ योजना आज सूरत में केंद्रीय और राज्य मंत्रियों की उपस्थिति में शुरू की गई। इस दौरान सूरत के इंडोर स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल, गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी, वित्तमंत्री कनुभाई देसाई, कुंवरजी बावलिया, वन एवं पर्यावरण मंत्री मुकेश पटेल, सांसद मुकेश दलाल, पूर्व कैबिनेट मंत्री और विधायक पूर्णेश मोदी, अरविंद राणा, कांति बलर समेत अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। इस अवसर पर रिचार्ज ट्यूबवेल का निर्माण, अटल भूजल योजना के साथ-साथ डिजिटल जलस्तर रिकॉर्डर और खोजपूर्ण कूप निर्माण का भी उद्घाटन किया गया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जल एवं जल संरक्षण की दूरदर्शी पहल से गुजरात सहित पूरे देश में जन जागरूकता आई है। सीएम पटेल ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में 7 साल पहले शुरू किए गए सुजलाम सुफलाम जल अभियान के परिणामस्वरूप, राज्य की जल भंडारण क्षमता कई गुना बढ़ गई है और गुजरात को देश का ‘जल सुरक्षित राज्य’ कहा जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात ने वर्षा जल संचयन की पहल के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री के ‘कैच द रेन’ दृष्टिकोण को सफल बनाया है और उन्होंने जन भागीदारी के माध्यम से राज्य में जल संचयन अभियान को सफल बनाने का विश्वास भी व्यक्त किया।
जल संचय जन भागीदारी पहल के तहत सूरत, नवसारी, वलसाड और तापी जिलों में 24,800 रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर्स का निर्माण किया जा रहा है। इस पहल के तहत नागरिकों, उद्योगपतियों और धर्मार्थ संगठनों के सहयोग से बरसाती जल को बचाकर और संग्रहित करके भूजल बढ़ाने का ठोस प्रयास किया जाएगा।
सूरत के इनडोर स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री सीआर.पाटिल ने कहा कि देश में नल से जल योजना से लोगों को फायदा हुआ है। इसके अलावा गुजरात में नदियों को जोड़ने की योजना तेजी से आगे बढ़ रही है। मंत्री पाटिल ने कहा कि एक समय था जब घर की महिलाएं पानी के लेने के लिए गांवों दूर जाती थीं, उन्हें अब घर पर ही पीने का पानी मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इस योजना से महिलाओं का समय बच रहा है। इसके अलावा इस योजना से बड़ी संख्या में ग्रामीणों को डायरिया जैसी बीमारियों से भी राहत मिली है, जिससे सालाना 8.4 करोड़ रुपये की बचत हो रही है. इस पैसे का इस्तेमाल अन्य विकास कार्यों में किया जा रहा है।