भावनगर। भावनगर में अलंग का स्क्रैप कारोबार मंदी के भंवर में फंस गया है। अलंग से जुड़े रोलिंग मिल और स्क्रैप व्यवसाय पर असर पड़ रहा है। मंदी में फंसे अलंग को बाहर निकालने के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं, पर कुछ सुधारात्मक कदम उठाए जाएं तो इससे जुड़े कारोबार फिर से चल सकते हैं। अलंग में जहाज तोड़ने का कारोबार होने से भावनगर में स्क्रैप व्यवसाय तेजी से आगे बढ़ रहा है, पर विदेशों से आयात होने वाले लोहे और स्क्रैप के कारण घरेलू बाजार प्रभावित हो रहा है। शिप रिसाइक्लिंग एसोसिएशन और सरकार को इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाना जरूरी है।
पिछले दो सालों में स्क्रैप की कीमतों में गिरावट आने से अलंग के छोटे-छोटे स्क्रैप डीलरों की समस्याएं बढ़ गई हैं। घरेलू उत्पादन के अलावा, देश में बड़ी मात्रा में लौह अयस्क और स्क्रैप का आयात करता है। विदेशों से आयात होने वाले लौह और स्क्रेप के कारण अलंग का स्क्रैप कारोबार संकट का सामना कर रहा है। देशभर में लोहे और स्क्रैप की कीमतें पंजाब की मंडी से तय होती हैं। विदेश से आयातित लौह-स्क्रैप के कारण एक समय इसकी कीमत 50 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई थी। पिछले दो साल में अलंग स्क्रैप की कीमत 17 रुपए तक घट गई है। वर्ष-2022 में अलंग में स्क्रैप की कीमत रु. 48 से 50 के आसपास थी। इसके बाद वर्ष 2023 में यह कीमत घटकर 40 से 42 रुपये हो गई और चालू वर्ष-2024 में अलंग स्क्रैप की कीमत लगभग 32 से 34 रुपए है। पिछले दो वर्षों में अलंग स्क्रैप की कीमत 17 रुपये तक गिरने से अलंग से जुड़े छोटे स्क्रैप डीलर्स को मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, सरकार की ओर से अलंग को मंदी से बाहर निकालने की कोशिशें की जा रही हैं। अगर विदेश से आयातित स्क्रैप-आयरन पर नियंत्रण लगाया जाए, तो देश में लोहा और स्क्रैप व्यवसाय ठीक से चलेगा और अलंग को इसका लाभ मिलेगा। शिप ब्रेकिंग एसोसिएशन के पदाधिकारी इस पर मुद्दे पर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।