Friday, March 14, 2025
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रक्षाबंधन पर भद्रा का साया, 19 अगस्त को दोपहर में डेढ़ बजे के बाद बांधें राखी

सोमवार, 19 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा पर रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधेंगी। भारत में रक्षाबंधन का त्योहार सदियों से चला आ रहा है। इस साल रक्षाबंधन पर भद्रा है। ज्योतिषियों के अनुसार भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए।
प्रयाग क्षेत्र के ज्योतिषी पंडित इंद्रजीत पांडेय ने बताया कि इस साल रक्षाबंधन का त्योहार सोमवार, 19 अगस्त को है। हालांकि, श्रावण शुक्ल चतुर्दशी, 18 अगस्त को रात 2 बजकर 21 मिनट से भद्रा शुरू हो रही है। भद्राकाल 19 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। भद्रा खत्म होने के बाद ही रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त शुरू होगा। दोपहर में डेढ़ बजे से रात सवा नौ बजे तक राखी बांधी जा सकती है।
पंडित इंद्रजीत पांडेय ने बताया कि इस साल रक्षाबंधन पर कई शुभ संयोग भी बन रहे हैं। सौभाग्य योग, रवि योग के साथ सिद्धि योग और श्रवण नक्षत्र का संयोग भी बनेगा।

रक्षाबंधन पर इस मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
येन बद्धो बलि राजा,दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:।।
अर्थात्
जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षाबंधन से मैं तुम्हें बांधती हूं, जो तुम्हारी हमेशा रक्षा करेगा। इस मंत्र से संबंधित कथा वामन पुराण, भविष्य पुराण और विष्णु पुराण में भी मिलती है। धार्मिक ग्रंथों वर्णित कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से दान में सब कुछ मांग लिया था। जब राजा बलि को भगवान के बारे में पता चला तो उन्होंने भगवान वामन से वरदान मांगा कि आप मेरे साथ पाताल लाेक में रहें। भगवान विष्णु राजा बलि के साथ पाताल लोक में चले गये। इस कारण माता लक्ष्मी दुखी हो गईं और सोचने लगीं कि भगवान को बलि राजा को दिए गए आशीर्वाद के बंधन से कैसे मुक्त कराया जाए। लक्ष्मी मां भेष बदलकर बलि राजा के पास गईं और उन्हें अपना भाई बना लिया। सावन पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधी थी। जब राजा बलि ने देवी से राखी बांधने के बदले में उपहार मांगने को कहा तो मां लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को वरदान के बंधन से मुक्त करने का वचन मांगा। बलि ने उपहार स्वरूप भगवान को वचन मुक्त किया और भगवान विष्णु देवी लक्ष्मी के साथ वैकुंठ लौट आए।

नोट: यह लेख लोक मान्यताओं और ज्योतिषियों की गणनाओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना के लिए DHN जिम्मेदार नहीं है।

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