सूरत। सांस्कृतिक रक्षा समिति संचालित श्री माधव गौशाला, एनिमल हाॅस्टेल के गौसेवकों द्वारा शहर में नहर, तालाब और सड़क के किनारे पड़ी दशा मां की टूटी-फूटी मूर्तियों का समुद्र में विसर्जन किया गया।
शहर में दशा मां की मूर्ति स्थापित करके दस दिनों तक विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के श्रद्धालु नहरों, तालाबों में विसर्जन करके घर चले जाते हैं। नहर, तालाब का पानी सूखने के बाद दशा मां की मूर्तियां बाहर आ जाती हैं। इससे भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचती है।
सांस्कृतिक रक्षा समिति के अध्यक्ष आशीष सूर्यवंशी ने बताया कि हमारी संस्था पिछले 8 साल से गणेशजी और दशा मां की अर्धविसर्जित मूर्तियों को नहरों, तालाबों से निकालकर समुद्र में विसर्जित करती है। शहर में जगह-जगह कृत्रिम तालाब बनाने के बावजूद कुछ लोग नहर, तालाब में मूर्तियां विसर्जित करके चले जाते हैं। सांस्कृतिक रक्षा समिति के स्वयं सेवकों ने सूरत नगर निगम के सहयोग से सीतानगर से मगोब बीआरटीएस, पूणागांव, परवत पाटिया केनाल रोड, भगुभाई की बाड़ी, सारोली रोड समेत आसपास के इलाकों से दशा मां की टूटी-फूटी मूर्तियों को इकट्ठा करके समुद्र में विसर्जित किया।