सूरत। यहां के झांखरडा गांव के सरकारी स्कूल की एक अलग पहचान हैं। यहां पढ़ने वाले बच्चे एक-दो नहीं बल्कि आठ भाषाएं जानते हैं। इस स्कूल में गांव के आदिवासी बच्चे पढ़ने आते हैं और गुजराती, हिन्दी के साथ-साथ अंग्रेजी, चीनी, जापानी, रोमन, तमिल, उर्दू भी बोलते हैं। स्कूल के प्रिंसिपल के अथक प्रयास से यहां सभी अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। यहां पढ़ने वाले बच्चे कैलकुलेटर से तेज वैदिक गणना का उपयोग करके गणित के कठिन से कठिन सवालों को हल करते हैं।
प्रिंसिपल ने बताया कि स्कूल में गरीब अादिवासियों के बच्चे पढ़ने आते हैं। बच्चे गुजराती-हिन्दी के साथ अंग्रेजी, चीनी, जापानी, रोमन, तमिल और उर्दू भाषा भी बोलते हैं। पहली से पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे गुणा, भाग करने के लिए वैदिक गणित का उपयोग करते हैं और कैलुकेलटर से भी तेज सवालों को हल करते हैं।
यहां के सरकारी स्कूल में प्रोजेक्टर, स्मार्ट क्लासरूम, कम्प्यूटर लैब और बच्चों के खेलने-कूदने के लिए मैदान, गार्डन समेत सभी अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। स्कूल में बच्चों काे श्रीमद् भगवद गीता भी पढ़ाया जाता है।
प्रिंसिपल ने बताया कि स्कूल के शिक्षकों द्वारा छात्रों को पाठ्यक्रम के साथ-साथ बड़ों के प्रति सम्मान सहित धार्मिक ग्रंथों की सीख देने के लिए सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं की शिक्षा दी जाती है। स्कूल में छुट्टी होने के बाद छात्र समय पर घर जाते हैं। 600 की आबादी वाले इस गांव में कुल 70 परिवार रहते हैं। स्कूल में कक्षा 1 से 5 तक के कुल 92 बच्चों को 3 शिक्षक पढ़ाते हैं।