अहमदाबाद। बांग्लादेश में आंदोलन राजनीतिक अस्थिरता से गुजरात के टेक्सटाइल उद्योग को करोड़ों के नुकसान होने की आशंका है। गुजरात डाईस्टफ मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक पटेल ने बताया कि अहमदाबाद के नरोडा, वटवा और ओढव से बांग्लादेश के प्रोसेसिंग उद्योग को रिएक्टिव डाइज सप्लाई करने वालों के 800 से 1000 करोड़ फंस गए हैं।
केमेक्सिलन के चेयरमैन भूपेन्द्र पटेल ने बताया कि फैब्रिक्स को प्रोसेस करके उसे कलर करने के लिए रिएक्टिव डाइज की बड़े पैमाने पर बांग्लादेश में निर्यात किया जाता है। देश के कुल केमिकल में से 10 से 12 प्रतिशत निर्यात अकेले बांग्लादेश में होता है। बांग्लादेश में आंदोलन से निर्यातकों का माल फंस गया है। भारत से बांग्लादेश में रिएक्टिव डाइज का निर्यात 2500 करोड़ से अधिक होने का अनुमान है। बांग्लादेश में अस्थिरता से निर्यातकों के पेमेंट भी फंस गए हैं। कई कंसाइनमेंट बीच में अटके हुए हैं। कई कंसाइनमेंट भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर पड़े हैं।
बांग्लादेश में हिंसा से सूरत का कपड़ा उद्योग संकट में है। फोस्टा अध्यक्ष कैलाश हकीम ने बताया कि बांग्लादेश के साथ सूरत का सालाना 500 करोड़ का कारोबार होता है। आरएफडी, प्रिंटेड और डाइड गारमेंट फेब्रिक, स्टीच गारमेंट का निर्यात होता है। टेक्सटाइल उद्योग में बांग्लादेश दुनिया में तीसरे स्थान पर है और सूरत के साथ सीधा संबंध है। हालांकि, सूरत के टेक्सटाइल उद्योग को अभी तक कोई असर नहीं है, लेकिन आंदोलन लंबे समय तक चलता रहा तो इसका सीधा असर सूरत के कपड़ा उद्योग पर पड़ेगा।