अहमदाबाद। गुजरात में सूदखोरों पर अंकुश लगाना मुश्किल होता जा रहा है। सरकार सूदखोरों के खिलाफ अभियान तो चलाती है, पर सफल नहीं हो पाती, क्योंकि आरोपी जमानत पर छूट जाते हैं और जेल से बाहर आते ही फिर उसी धंधे में लग जाते हैं।
ब्याज के दुष्कर्म में फंसे आम नागरिकों को मुक्त कराने के लिए मुख्यमंत्री भूपेन्द्रभाई पटेल के मार्गदर्शन में गृह राज्यमंत्री हर्ष सांघवी के निर्देश पर गुजरात पुलिस द्वारा 21/06/2024 से 31/07/2024 तक प्रदेशभर में एक विशेष अभियान चलाया गया था। इस दौरान पुलिस द्वारा 1648 लोक दरबार लगाए गए, जिसमें सूदखोरों के खिलाफ 75,000 शिकायतें आईं। यह आंकड़ा 10 गुना बढ़ सकता है, क्योंकि अधिकांश लोग डर की वजह से सूदखोरों के खिलाफ शिकायत नहीं करते हैं।
इस अभियान में पुलिस द्वारा 565 आरोपियों के खिलाफ 323 केस दर्ज करके कड़ी कार्रवाई की गई। पुलिस ने 343 आरोपियों को गिरफ्तार किया। लोक दरबार में पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक समेत उच्चाधिकारी मौजूद थे।
सरकार के आंकड़ों से पता चला कि प्रदेश में सूदखोरी किस हद तक फैली हुई है। सूदखोरों के चंगुल में फंसने के बाद किसान अपनी जमीन, नौकरी-धंधा करने वाले गहने और घर का सामान गंवा रहे हैं। मूल रकम पर 25 से 30 प्रतिशत ब्याज वसूलने वाले सूदखोरों से परेशान होकर लोग आत्महत्या करने को मजबूर हैं।