उज्जैन। सालभर में केवल एक बार खुलने वाले नागचंद्रेश्वर महादेव के पट 8 अगस्त को आधी रात में खुलेंगे। महाकालेश्वर मंदिर की दूसरी मंजिल पर विराजित भगवान नागचंद्रेश्वर महादेव का मंदिर नाग पंचमी के मौके पर 24 घंटे के लिए ही खुलता है। श्रद्धालु सालभर में केवल एक बार ही इस मंदिर में दर्शन कर पाते हैं। उज्जैन जिला प्रशासन, पुलिस और मंदिर समिति की ओर से अभी से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। नागचंद्रेश्वर मंदिर 8 अगस्त को आधी रात में खुलेगा और 9 अगस्त को को रात 12:00 बजे बंद हो जाएगा।
दुनिया का इकलौता मंदिर जहां भोलेनाथ सर्प पर विराजमान हैं
नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर दुनिया का इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं। मंदिर बहुत ही प्राचीन है। यहां भगवान भोलेनाथ मां पार्वती और गणेशजी के साथ दसमुखी सर्प शय्या पर विराजमान हैं।
ये है पौराणिक मान्यता: तक्षक ने की थी घोर तपस्या
पौराणिक कथाओं के अनुसार सर्पों के राजा तक्षक ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी। भोलेनाथ से तपस्या से प्रसन्न होकर तक्षक को अमरत्व का वरदान दिया था। मान्यता है कि उसके बाद से तक्षक ने भोलेनाथ के सानिध्य में वास करना शुरू कर दिया। महाकाल वन में वास करने से पहले उनकी मंशा थी एकांत में कोई विघ्न न हो, इसलिए वर्षों से यही परंपरा चली आ रही है कि नागपंचमी के दिन ही इस मंदिर के पट खोले जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि नागराज तक्षक स्वयं मंदिर में रहते हैं। मंदिर में दर्शन करने से व्यक्ति सर्पदोष से मुक्त हो जाता है। राजा भोज ने सन् 1050 में इस मंदिर का निर्माण कराया था। नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11वीं सदी की एक अद्भत प्रतिमा विराजमान है, जो नेपाल से लाई गई थी।