नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट से बिहार सरकार को तगड़ा झटका लगा है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में आरक्षण की सीमा 65 प्रतिशत किए जाने के नीतीश सरकार के फैसले पर लगी रोक को हटाने से इनकार कर दिया।
बिहार सरकार ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में एससी, एसटी, ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने का फैसला किया था। इस फैसले को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने फैसले को असंवैधानिक करार देते हुए रोक लगा दी थी। इसके बाद बिहार सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट इस मामले में सितंबर में विस्तृत सुनवाई करेगा।
बिहार सरकार ने 9 नवंबर 2023 को एक कानून पारित कर सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में कोटा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया। यह फैसला पिछले साल बिहार सरकार द्वारा घोषित जाति जनगणना के बाद लिया गया था। इसके तहत ओबीसी, अति पिछड़ा वर्ग, दलित और आदिवासियों को आरक्षण का लाभ मिलना था।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूढ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि इस मामले में हम सितंबर में सुनवाई करेंगे, तब तक कोई अंतरिक राहत नहीं रहेगी। बिहार सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल सुषार मेहता पक्ष रख रहे थे।