नई दिल्ली। खनिज टैक्स को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच चले आ रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा खनिजों पर लगने वाली रॉयल्टी को टैक्स नहीं माना जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने खनिज भूमि पर रॉयल्टी लगाने के राज्य सरकारों के अधिकार को बरकरार रखा और कहा कि राज्यों के पास रॉयल्टी लगाने की क्षमता और अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला ओडिशा, झारखंड, बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे खनिज समृद्ध राज्यों के लिए एक बड़ी जीत है।
सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संवैधानिक बेंच ने 8:1 के बहुमत से यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। जिसमें बेंच का नेतृत्व कर रहे चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाया और कहा कि रॉयल्टी कोई टैक्स नहीं है। जबकि जस्टिस बीवी नागरत्न ने फैसले पर असहमति जताते हुए कहा कि राज्यों को टैक्स वसूलने का अधिकार नहीं देना चाहिए। यह अहम फैसला देने वाली बेंच में उनके अलावा जस्टिस ऋषिकेष रॉय, एएस ओका, जेबी पारदीवाला, मनोज मिश्रा, बीवी नागरत्ना, उज्ज्वल भुइया, सतीश चंद्र शर्मा, ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल थे।
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्न पीठ के एकमात्र न्यायाधीश थे जिन्होंने बहुमत से असहमति जताई थी। अपनी और 7 अन्य जजों की ओर से फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि संविधान के मुताबिक न तो केंद्र और न ही संसद को खनिजों पर टैक्स लगाने का अधिकार है। कोर्ट ने यह प्रावधान संविधान की सूची 2 की प्रविष्टि 50 के तहत दिया है।