नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के केंद्रीय बजट पेश करने के बाद बुधवार को दोनों सदनों में बजट पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने आक्रामक रुख अपना लिया है और संसद के बाहर से लेकर सदन के अंदर तक जमकर हंगामा किया। विपक्ष ने सरकार पर उन राज्यों को बजट में तरजीह देने का आरोप लगाया है, जिन्होंने मोदी सरकार को समर्थन देकर सत्ता में पहुंचाया है। आंध्र प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों के लिए बड़ी घोषणाएं की गईं। वहीं अन्य राज्यों के लिए कोई खास घोषणा नहीं की गई है।
बजट के खिलाफ विपक्षी सांसदों के राज्यसभा से वॉकआउट करने पर अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने कहा कि माननीय सदस्यों, बजट पर बहस आज सूचीबद्ध थी और मुझे विपक्ष के नेताओं से उम्मीद थी कि नियम का पालन करेंगे। यदि व्यवधान और रुकावट को एक रणनीति के रूप में हथियार बनाया गया, तो लोकतंत्र को गंभीर खतरे का सामना करना पड़ेगा।
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने संसद में कहा, ‘हमने किसान नेताओं को यहां मिलने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन सरकार उन्हें यहां नहीं आने दे रही है। क्योंकि वे किसान हैं, शायद यही कारण है कि उन्हें अंदर नहीं आने दे रही है। हालांकि बाद में किसान नेताओं का 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से मिलने संसद भवन स्थित उनके कार्यालय पहुंचा।
आम बजट पर राज्यसभा में बहस में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि इस बजट में दो राज्यों को छोड़कर किसी भी राज्य को कुछ नहीं मिला। मैंने ऐसा बजट कभी नहीं देखा। पकौड़े सिर्फ दो राज्यों की थाली में आते हैं। सत्ता को बचाने के लिए सब कुछ किया गया है। हम इसकी आलोचना और विरोध करते हैं। इंडिया गठबंधन इस बजट का विरोध करता है। संतुलन नहीं होगा तो विकास कैसे होगा?