ढाका। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बेहद अहम तीस्ता परियोजना को लेकर महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने इस प्रोजेक्ट मुद्दे पर चीन को धौंस दिखाते हुए भारत पर ज्यादा भरोसा जताया है। वहीं, इस विवाद में भारत की एंट्री से ड्रैगन भड़क गया है। बांग्लादेश, चीन और भारत में इस प्रोजेक्ट को लेकर काफी समय से चर्चा चल रही है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत और चीन दोनों ही इस परियोजना को हासिल करने की होड़ में हैं, हालांकि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने भारत पर अधिक भरोसा जताकर चीन को बड़ा झटका दिया है। आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने भारत को प्रोजेक्ट देने के फायदे भी बताए। इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत करीब एक अरब डॉलर है।
प्रधानमंत्री शेख हसीना ने राजधानी ढाका में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने कहा कि हमने तीस्ता परियोजना के लिए भारत और चीन दोनों को प्रस्ताव दिया है। इस प्रोजेक्ट के लिए चीन रिसर्च कर चुका है, जबकि भारत जल्द ही रिसर्च करने जा रहा है, फिर बांग्लादेश के हित में जो भी फैसला होगा हम लेंगे। इसी बीच उन्होंने यह भी कहा कि इस परियोजना के लिए हम भारत को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे, क्योंकि तीस्ता नदी में पानी का स्रोत भारत ही है। उन्होंने कहा कि वे हमें पानी दे रहे हैं, जिसकी हमें जरूरत है तो हम उन्हें प्राथमिकता देंगे। यह कूटनीति है, इसमें छिपाने की कोई बात नहीं है।
तीस्ता नदी भारत और बांग्लादेश के बीच बहने वाली 54 नदियों में से एक है। तीस्ता नदी परियोजना भौगोलिक, राजनीतिक दृष्टि से भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अगर ऐसी परियोजनाओं में चीन की भागीदारी बढ़ती है तो यह भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है। क्योंकि संवेदनशील चिकन नेक कॉरिडोर इसके बेहद करीब है।
बता दें, पिछले महीने विपक्षी पार्टी के अन्य नेताओं ने इस मामले में हंगामा किया था और शेख हसीना के फैसले की निंदा की थी। कई नेताओं ने कहा कि शेख हसीना इस कार्यकाल में भारत को अधिक लाभ देकर देश की विदेश नीति का संतुलन बिगाड़ देंगी। उन नेताओं का इशारा चीन की ओर था। भारत की तरह बांग्लादेश के भी चीन के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध हैं। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार होता है। इतना ही नहीं, चीनी कंपनियां बांग्लादेश में विकास परियोजनाएं कर रही हैं। बांग्लादेश का चट्टोग्राम बंदरगाह वर्तमान में चीन द्वारा विकसित किया जा रहा है। बांग्लादेश का अधिकांश व्यापार इसी बंदरगाह से होता है। विपक्ष ने तर्क दिया कि भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों से चीन नाराज हो जाएगा और देश में चीनी निवेश कम हो जाएगा। बांग्लादेश को दोनों देशों के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए।