Tuesday, March 18, 2025
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25 जून संविधान हत्या दिवस घोषित, कांग्रेस ने “मोदी मुक्ति दिवस’ कहकर पलटवार किया

नई दिल्ली। 25 जून, 1975 को देश में आपातकाल लगाया गया था। अब केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए 25 जून को संविधान हत्या दिवस घोषित किया है। केंद्र ने इसे आपातकाल में अमानवीय यातनाएं झेलने वालों का सम्मान करार दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना इस बात की याद दिलाएगा कि उस दिन क्या हुआ था और संविधान को कैसे कुचला गया था।
गृह मंत्रालय की ओर से 11 जुलाई को जारी अधिसूचना में कहा गया है कि 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा की गई थी। उस समय की सरकार ने सत्ता का दुरुपयोग कर भारत के लोगों पर अमानवीय अत्याचार किए थे। आज लोगों को देश के संविधान और लोकतंत्र पर दृढ़ विश्वास है। इसलिए भारत सरकार ने आपातकाल के दौरान अमानवीय यातनाएं सहने वालों को श्रद्धांजलि देने के लिए 25 जून को संविधान हत्या दिवस घोषित किया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया(X) पर पोस्ट करते हुए लिखा है- 25 जून को संविधान हत्या दिवस देशवासियों को याद दिलाएगा कि संविधान के कुचले जाने के बाद देश को कैसे-कैसे हालात से गुजरना पड़ा। यह दिन उन सभी लोगों को नमन करने का भी है, जिन्होंने आपातकाल की घोर पीड़ा झेली। कांग्रेस के इस दमनकारी कदम को भारतीय इतिहास के काले अध्याय के रूप में हमेशा याद रखा जाएगा।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया(X) पर लिखा है- 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी तानाशाही मानसिकता को दर्शाते हुए देश में आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था। लाखों लोगों को अकारण जेल में डाल दिया गया और मीडिया की आवाज को दबा दिया गया। भारत सरकार ने हर साल 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय किया है।

उधर, कांग्रेस ने पलटवार करते हुए भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया(X) पर पोस्ट किया है कि अकार्बनिक प्रधानमंत्री एक बार फिर पाखंडी हेडलाइन बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
भारत के लोगों के लिए 4 जून, 2024 को इतिहास में मोदी मुक्ति दिवस के रूप में जाना जाएगा। इस दिन निर्णायक व्यक्तिगत, राजनीतिक और नैतिक हार से पहले उन्होंने (पीएम मोदी) दस साल तक अघोषित आपातकाल लगाया था। ये वही अकार्बनिक प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने भारत के संविधान और उसके सिद्धांतों, मूल्यों और संस्थाओं पर सुनियाेजित रूप से हमला किया था।
समाजवादी पार्टी ने भी केंद्र सरकार के निर्णय का विरोध किया है। अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया(X) पर लिखा है- 30 जनवरी को बापू हत्या दिवस और लोकतंत्र हत्या दिवस के संयुक्त दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए, क्योंकि इस दिन भाजपा ने चंडीगढ़ में मेयर चुनाव में धांधली की थी।

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