नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को भी गुजारा भक्ता पाने का कानूनी अधिकार है। वह भी धारा 125 के तहत याचिका दायर कर सकती हैं। ये धारा सभी महिलाओं पर लागू होती है, वह चाहे जिस धर्म की हों।
न्यायमूर्ति बीवी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने अलग-अलग लेकिन एक समान निर्णय दिया है। देश की शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि कुछ पतियों को इस बात की जानकारी नहीं होती कि पत्नी गृहिणी है, लेकिन इन गृहणियों की पहचान भावनात्मक और अन्य रूप से उन पर निर्भर होती है।
कोर्ट ने साफ कहा कि देश में सेकुलर कानून ही चलेगा। दोनों जजों ने अपने फैसले में कहा कि मुस्लिम महिला गुजारा भत्ता के लिए कानूनी अधिकार का इस्तेमाल कर सकती हैं। अब तक मुस्लिम महिलाओं को कई मामलाें में गुजारा भक्ता नहीं मिल पाता है।
तेलंगाना के अब्दुल समद ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उसने दलील दी थी कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला सीआरपीसी की धारा 125 के तहत याचिका दायर करने की हकदार नहीं है। याचिका में यह भी कहा गया था कि मुस्लिम महिलाओं को मुस्लिम महिला अधिनियम 1986 के प्रावधानाें के अनुसार ही चलना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया कि कोई भी महिला सीआरपीसी की धारा 125 के तहत अपने पति से गुजारा भक्ता की मांग कर सकती है।