सूरत। शनिवार को सचिन के पाली गांव में 5 मंजिला इमारत अचानक भराभर कर ढह गई। इमारत के मलबे के नीचे 8 लोगों के दबे होने की आशंका जताई जा रही है। हादसे में 15 लोगों को मामूली चोटें आई है। उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
बताया जाता है कि इस बिल्डिंग को 7 साल पहले अवैध तरीके से बनाया गया थ। पाली गांव जब सचिन नगर पालिका और सूडा के अधिकार क्षेत्र में था, तभी इस बिल्डिंग का निर्माण किया गया था। नगर निगम का कहना है कि बिल्डिंग मालिक को इसकी मरम्मत कराने के लिए नोटिस दिया गया था, पर उसने कोई ध्यान नहीं दिया। वहीं, घटना की गंभीरता को देखते हुए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम को बुलाया गया है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत एवं बचाव कार्य में जुट गई हैं। कलेक्कर सौरव पारघी ने बताया कि मलबा हटाने के बाद ही पता चल सकेगा कि कितने लोग अंदर फंसे हुए हैं। मौके पर मलबा हटाने का काम तेजी से चल रहा है। रात में भी मलबा हटाने का काम चलता रहेगा। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें अत्याधुनिक औजारों के साथ मलबा हटाने का काम कर ही हैं। मलबा हटाने के लिए 7 जेसीबी मशीनों को भी लगाया गया है।
जानकारी के अनुसार पाली गांव में कई इमारतें अवैध हैं। इसे बनाने की मंजूरी नहीं ली गई है। माैके पर पहुंचे कलेक्टर ने नगर निगम के अधिकारियों को यहां बनी 4 से 6 मंजिला इमारतों की जांच करने का आदेश दिया है। यहां रहने वाले गैरगुजरातियों की संख्या अधिक है। लोग सस्ते दामों में जमीन खरीदने के बाद मनमानी तरीके से मकानों का निर्माण कराया है। कमरा किराए पर देकर कमाई कर रहे हैं। बताया जाता है कि ढह गई बिल्डिंग पहले दो मंजिला था, बाद में इसे पांच मंजिला और बना दिया गया। बिल्डिंग में सीवेज की सुविधा नहीं है।
पुलिस कमिश्नर अनुपम सिंह गहलोत ने बताया कि पाली गांव में बिल्डिंग गिरने की सूचना मिलते ही पुलिस अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंच गए। यहां 30 से 35 फ्लैट में कुल पांच से छह लोग रहते थे। सूचना के अनुसार घटना के दौरान एक परिवार बिल्डिंग के अंदर ही मौजूद था। बाकी कामकाज के सिलसिले में बाहर गए हुए थे।
सचिन जीआईडीसी नोटिफाइड एरिया के चेयरमैन मयूर गोलवाला ने बताया कि बिल्डिंग नगर पालिका के क्षेत्र में आती है। सचिन जीआईडीसी से इसका कोई संबंध नहीं है।