नई दिल्ली। देशभर में 1 जुलाई, सोमवार से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो जाएंगे। तीनों नए कानून वर्तमान में लागू ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे। नए कानून के नाम भारतीय न्याय संहिता(BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता(BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम(BSA) हैं। संसद से दिसंबर 2023 में पारित होने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 25 दिसंबर 2023 को इसे मंजूरी दी थी। इसी साल फरवरी में तीन तीनों आपराधिक कानूनों को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया गया था। नए कानून के लागू होने से कई बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।
- भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएं थीं, लेकिन भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं हैं। ओवरलैप धाराओं का आपस में विलय कर दिया गया तथा उन्हें सरलीकृत किया गया है।
- जीरो एफआईआर से अब कोई भी व्यक्ति किसी भी थाने में प्राथमिकी दर्ज करा सकता है। भले ही अपराध उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं हुआ हो। इससे कानूनी कार्यवाही में होने वाली देरी खत्म होगी।
- आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के भीतर आएगा और पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय किए जाएंगे। दुष्कर्म पीड़िताओं का बयान कोई महिला पुलिस अधिकारी उसके अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज करेगी और मेडिकल रिपोर्ट सात दिन के भीतर देनी होगी। नए कानूनों में संगठित अपराधों और आतंकवाद के कृत्यों को परिभाषित किया गया है, राजद्रोह की जगह देशद्रोह लाया गया है और सभी तलाशी तथा जब्ती की कार्रवाई की वीडियोग्राफी कराना अनिवार्य कर दिया गया है।
- महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है। किसी बच्चे को खरीदना और बेचना जघन्य अपराध माना गया है और किसी नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान है।
- शादी का झूठा वादा करने, नाबालिग से दुष्कर्म, भीड़ द्वारा पीटकर हत्या करने, झपटमारी आदि मामलों में मौजूदा भारतीय दंड संहिता में कोई विशेष प्रावधान नहीं थे. उन्होंने बताया कि भारतीय न्याय संहिता में इनसे निपटने के लिए प्रावधान किये गए हैं।
- नए कानूनों के तहत अब कोई भी व्यक्ति पुलिस थाना गये बिना इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम से घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज करा सकता है।
- नए कानून में जुड़ा एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि गिरफ्तारी की सूरत में व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित करने का अधिकार दिया गया है। इससे गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत सहयोग मिल सकेगा।
- नए कानूनों में महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गई है, जिससे मामले दर्ज किए जाने के दो महीने के भीतर जांच पूरी की जाएगी।
- नए कानूनों में, महिलाओं व बच्चों के साथ होने वाले अपराध पीड़ितों को सभी अस्पतालों में निशुल्क प्राथमिक उपचार या इलाज मुहैया कराया जाएगा। आरोपी तथा पीड़ित दोनों को अब प्राथमिकी, पुलिस रिपोर्ट, आरोपपत्र, बयान, स्वीकारोक्ति और अन्य दस्तावेज 14 दिन के भीतर पाने का अधिकार होगा।