सूरत। शहर में सर्वाधिक अतिक्रमण वाले चौटा बाजार में 100 साल पुरानी सूरत जनरल अस्पताल में मरीजों को पहुंचने में भारी परेशानी होती है। सड़क पर अतिक्रमण के कारण यहां एंबुलेंस भी समय पर नहीं पहुंच पाती है। इससे मरीजों की मौत भी हो चुकी है। अस्पताल की ओर से बार-बार सिफारिश करने के बाद भी नगर निगम को अतिक्रमण हटाने में कोई रूचि नहीं है। अस्पताल की ओर से एक बार फिर नगर निगम को आवेदन देकर अतिक्रमण हटाने की मांग की गई है।
चौटा बाजार में अतिक्रमण के कारण पिछले दो महीने में आग लगने के बाद फायर की टीम भी मौके पर नहीं पहुंच पाई। सड़क पर अतिक्रमण के कारण भीड़ में एंबुलेंस के फंसने का वीडियो भी कई बार सामने आ चुका है। चौटा बाजार में अतिक्रमण के कारण सबसे ज्यादा परेशानी जनरल अस्पताल को हो रही है।

चौटा बाजार में बालाजी रोड पर 100 साल पुरानी सेठ पीटी सूरत जनरल अस्पताल है। यहां राहत दर पर मरीजों का इलाज होता है। अस्पताल में आसपास के ही नहीं बल्कि दूर-दराज के मरीज भी आते हैं। अस्पताल के दोनों ओर एप्रोच रोड पर हाॅकर और दुकानदार 8-8 फीट का स्टॉल लगाकर रास्ते को ब्लाॅक करते देते हैं। अतिक्रमण के कारण एंबुलेंस समय पर अस्पताल तक नहीं पहुंच पाती है। अस्पताल द्वारा नगर निगम को आवेदन देकर सवाल उठाया गया है- क्या लोगों की जान की कीमत व्यावसायिक हितों से कम है?
अस्पताल ने आवेदन में आगे लिखा है- अतिक्रमण के कारण कोई गंभीर घटना घटती है और आग लगने जैसी घटनाओं में किसी मरीज या जनता की जान जाती है, तो इसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। कानून का सही तरीके से पालन न होने के कारण 100 साल पुरानी अस्पताल बंद होने की कगार पर है। अस्पताल बंद होने पर यहां काम करने वाले 100 से अधिक कर्मचारी बेकार हो जाएंगे, उनका परिवार बेसहारा हो जाएगा।