सूरत। लंबे समय से मंदी के दौर से गुजर रहे कपड़ा उद्योग में त्योहारी सीजन का कामकाज शुरू हो गया है। व्यापारी वीविंग और प्रोसिसिंग इकाइयों में ऑर्डर देने लगे हैं। लूम्स और प्रोसेसिंग इकाइयों में मजदूरों की कमी के कारण समय पर प्रोडक्शन नहीं हो पा रहा है। इससे कारखाना मालिकों की परेशानी और बढ़ गई है। गांव गए 30 प्रतिशत मजदूर अभी तक वापस लौटकर नहीं आए हैं।
टेक्सटाइल उद्योग से करीबन 22 लाख मजदूर जुड़े हुए हैं। इसमें लूम्स और प्रोसेसिंग इकाइयों में 13 लाख लेबर काम करते हैं। इसके अलावा टेम्पो, पार्सल और पैकिंग में काम करते हैं। गर्मी की छुटि्टयां, शादी और लोकसभा चुनाव के दौरान अधिकांश मजदूर अपने गांव चले गए। सूरत की लूम्स और प्रोसेसिंग इकाइयों में उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के कारीगर काम करते हैं। अभी तक 30 प्रतिशत से अधिक मजदूर गांव से लौटकर नहीं आए हैं। इससे लूम्स और प्रोसेसिंग इकाइयों में कामकाज पर असर पड़ रहा है।
वीवर्स मयूर गोलवाला ने बताया कि सचिन, पलसाणा, सायण, उधना, लिंबायत, पांडेसरा, वेडरोड के लूम्स कारखानों में काम करने वाले अधिकांश कारीगर दूसरे राज्यों के हैं। व्यापारियों से ऑर्डर मिलने के बाद अब मजदूरों की समस्या है। प्रोसेसर्स मितुल मेहता ने बताया कि त्योहारों के ऑर्डर मिलने लगे हैं, पर मिलों में काम करने के लिए मजदूर नहीं हैं। कपड़ा मार्केट में भी लेबर की समस्या है। यहां साड़ी फोल्डिंग, पैकिंग, पार्सल बनाने वाले कारीगर नहीं हैं।