सूरत। सूरत में 2000 करोड़ के सरकारी जमीन घोटाले में राज्य सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए वलसाड के कलेक्टर आयुष ओक को सस्पेंड कर दिया है।
डूमस में सर्वे नं. 311-3 की 2.17 लाख वर्गमीटर सरकारी जमीन कृष्णमुख लाल भगवानदास श्रोफ के नाम चढ़ाकर इसे बिल्डर को बेचने की साजिश रची गई थी। सरकारी जमीन में सूरत के तत्कालीन कलेक्टर आयुष ओक को दोषी पाया गया था। लोकसभा चुनाव के दौरान एक जगह पद पर तीन साल तक कार्यरत आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के तबादले किए थे। इसी नियम के तहत 30 जनवरी को सूरत के कलेक्टर आयुष ओक का वलसाड तबादला किया गया था। जमीन घोटाले में कलेक्टर आयुष ओक के खिलाफ लंबे समय से जांच चल रही थी।
बता दें, सरकारी जमीन पर खेती करने वाले को अधिनियम की धारा 4 के तहत भूमि का स्वामित्व नहीं मिलना चाहिए, इसके बावजूद भूमि का स्वामित्व हस्तांतरित कर दिया था। खेती करने वाले को मालिक बनाने का काेई भी दस्तावेज जारी नहीं किया गया था। इस संदर्भ में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, सतर्कता आयोग, गांधीनगर के राजस्व विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग में की गई थी। गुजरात सरकार ने शिकायत मिलते ही तत्कालीन जिला कलेक्टर आयुष ओक के आदेश पर प्रतिबंध लगा दिया था। रेवन्यू रिकॉर्ड में नाम दर्ज करने का अधिकार केवल राजस्व अधिकारी काे होता है। इस जमीन घोटाले में अधिकारी की ओर से कारण बताओ नोटिस भी नहीं जारी किया गया था। इस प्रकरण में जमीन जमीन हड़पने के लिए धारा-4 का गलत इस्तेमाल किया गया। बताया जाता है कि कलेक्टर आयुष ओक तबादला होने से एक दिन पहले ही फाइल मंजूर करके घोटाला किया था।
