नई दिल्ली। आरबीआई ने लगातार आठवीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति ने अपनी तीन दिवसीय बैठक के अंत में रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय लिया है। आरबीआई ने रेपो रेट पिछले साल फरवरी में बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था। बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मुद्रास्फीति वृद्धि संतुलन अनुकूल रूप से आगे बढ़ रहा है। आरबीआई गवर्नर दास की अध्यक्षता वाली एमपीसी ने स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) दरों को भी क्रमश: 6.25 प्रतिशत और 6.75 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) के लिए अपना वास्तविक जीडीपी वृद्धि अनुमान 7 प्रतिशत के पिछले स्तर से बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है। यह वृद्धि विश्लेषकों के वित्तीय वर्ष 2023-24 (FY24) में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत तक बढ़ने के अनुमान के मद्देनजर है। आरबीआई ने 5 जून को अपनी तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक शुरू की थी। इससे पहले आरबीआई ने फरवरी 2023 में रेपो रेट बढ़ाया था। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अगर इस वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ 7.2 फीसदी दर्ज की गई तो लगातार चौथे साल देश की जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी से ज्यादा दर्ज की जाएगी। आरबीआई के मौजूदा मुद्रास्फीति आंकड़ों के आधार पर वित्त वर्ष 2024-25 में खुदरा मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। हालांकि खुदरा मुद्रास्फीति मार्च के 4.85 प्रतिशत के मुकाबले अप्रैल में गिरकर 4.83 प्रतिशत हो गई, आरबीआई ने अभी भी रेपो रेट को प्रतीक्षा और निगरानी में रखा है, क्योंकि यह एमपीसी के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है।