राजकोट। टीआरपी गेम जोन पर बुलडोजर चलाकर पूरी जमीन को समतल कर दिया गया है। अग्निकांड के 96 घंटे बाद ही बुलडोजर चलाकर सभी सबूत नष्ट कर दिए गए हैं। किसी भी अपराध को साबित करने के लिए घटनास्थल सबसे बड़ा सबूत होता है। यहां तो सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल करके सबूत नष्ट कर दिए गए हैं। मृतकों के परिवारों की न्याय मिलने की उम्मीदाें पर बुलडोजर चलवा दिया गया है। फॉरेंसिक लैब मृतकों का डीएनए हासिल करके उनकी पहचान करने में जुटी है, पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करके उन्हें रिमांड पर ले रही है, नगर निगम गेम जोन को परमिशन देने या न देने का कागज जुटा रही है, वहीं घटना के 96 घंटे बाद ही गेम जोन पर बुलडोजर चलाकर उसे समतल कर दिया गया है। यह सब कुछ कहीं आरोपियों को बचाने की कोशिश तो नहीं हो रही है? अग्निकांड की जांच कर रही एसआईटी को अब घटनास्थल पर कौन से सबूत मिलेंगे। गेम जोन में हजारों लीटर डीजल-पेट्रोल समेत और भी कई ज्वलनशील पदार्थ रखे हुए थे, इसके सबूत कहां से मिलेंगे? सबूत नष्ट करना, उससे छेड़छाड़ करना भी एक प्रकार का अपराध माना जाता है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि राजकोट अग्निकांड में सबूतों को नष्ट करने का काम किसके इशारे पर किया गया। बता दें, अग्निकांड में 27 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। गेम जोन तीन साल से बिना बीयूसी(बिल्डिंग यूज सर्टिफिकेट) के चल रहा था। यहां फायर सेफ्टी के न तो कोई उपकरण थे और न ही उसकी कोई मंजूरी ली गई थी। सारे सबूत नष्ट होने के बाद आरोपी आसानी से जमानत पर छूट जाएंगे। कोराेना काल में अस्पताल में आग लगने, सूरत में तक्षशिला अग्निकांड के आरोपी जमानत पर छूट ही गए हैं।