अहमदाबाद। मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध मायी की पीठ ने गुजरात राज्य में लैंड ग्रेबिंग (भूमि हथियाने) अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली गुजरात हाईकोर्ट में दायर रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया है। गुजरात हाई कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए गुजरात लैंड ग्रैबिंग एक्ट और उससे जुड़े प्रावधानों को वैध करार देते हुए इसे बरकरार रखा है। हाई कोर्ट ने भी अपने फैसले में बेहद गंभीर और अहम टिप्पणियां की। गुजरात हाई कोर्ट का यह फैसला बेहद महत्वपूर्ण और दूरगामी है। अब भू-माफिया दूसरों की जमीन पर नजर उठाने से पहले सौ बार सोचेंगे।
मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध मायी की पीठ ने विधायी और न्यायिक रूप से गुजरात लैंड ग्रेबिंग एक्ट की संवैधानिकता को मान्यता दी और अधिनियम के प्रावधान को संविधान के अनुरूप माना। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गुजरात लैंड ग्रेबिंग एक्ट किसी भी तरह से समानता के अधिकार या नागरिकों के अन्य मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता है। हालांकि इस कानून को अभी राष्ट्रपति की मंजूरी मिलनी बाकी है। इस कानून को भू-माफियाओं को रोकने के आशय से लागू किया गया है।
हाई कोर्ट ने कहा कि जनप्रतिनिधियों द्वारा बनाए गए इस कानून में कोई त्रुटि दिखाई नहीं देती है। कोर्ट ने यह भी माना कि विधानसभा में पारित कानून में सजा का प्रावधान जनप्रतिनिधियों के विवेक और मौजूदा समय की जरूरत के अनुरूप है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने इस कानून को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया।
गुजरात लैंड ग्रैबिंग एक्ट और उसके प्रावधानों को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं में कहा गया था कि राज्य सरकार द्वारा लैंड ग्रैबिंग एक्ट और उसके विवादित प्रावधानों को पारित करके नागरिकों के मूल अधिकारों का हनन किया गया है। यह अधिनियम सिविल न्यायालय की शक्तियों का अतिक्रमण करता है।
विशेष अदालत पुराने लेन-देन और सिविल कोर्ट के पिछले आदेशों को रद्द नहीं कर सकती, इस प्रकार के प्रावधान असंवैधानिक हैं।
उधर, राज्य सरकार की ओर एडिशनल एडवोकेट जरनल मनीषा लवकुमार शाह, एडिशनल एडवोकेट जनरल मीतेश अमीन और अतिरिक्त सरकारी वकलल उत्कर्ष शर्मा ने रिट याचिकाओं का सख्त विरोध करते हुए कहा कि सरकार ने राज्य में जमीन पर अवैध कब्जा और उससे जुड़ी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के नेक इरादे से इस कानून को लागू किया है। कानून का मूूल आशय मालिकों और किसानों की जमीन की सुरक्षा करना है। भू माफिया ऐन-केन-प्रकारेण किसानों की जमीन छीन लेते हैं। नागरिकों के बुनियादी अधिकारों की रक्षा के लिए ये कानून लाया गया है।