नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद(EAC-PM) नई रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार 1950 से 2015 के बीच भारत में हिन्दुओं की आबदी में 8 प्रतिशत की तेजी से गिरावट आई है। वहीं, मुसलमानों की आबादी में 43.15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस आंकड़ों के सामने आते ही सियासत गरमा गई है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि यह मुस्लिम तुष्टिकरण की नीतियों का परिणाम है। अगर देश कांग्रेस के हवाले कर दिया गया तो हिन्दुओं के लिए कोई देश नहीं बचेगा। उधर, कांग्रेस का कहना है कि बेरोजगारी, किसान और महिलाओं की सुरक्षा पर बात होनी चाहिए।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि हमें उन मुद्दों के बारे में बात करनी चाहिए जो लोगों के जीवन से जुड़ी हैं। बेरोजगारी, किसान और महिलाओं की सुरक्षा पर बात होनी चाहिए। भाजपा वाले अपने हिसाब से मुद्दे बनाते हैं और बोलते रहते हैं। ये कोई मुद्दा नहीं है।
उधर, बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने कहा कि चुनाव के बाद इस मुद्दे की समीक्षा की जाएगी। हम तुष्टिकरण की राजनीति नहीं होने देंगे। लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान ने कहा कि अगर ऐसा है तो यह चिंता का विषय है।
बता दें, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्ययन के अनुसार 1950 में भारत में हिंदुओं की संख्या कुल आबादी में 84 फीसदी थी जो 2015 में घटकर 78 फीसदी रह गई। इस अवधि में यानी 65 वर्षों में मुस्लिमों की संख्या कुल आबादी के 9.84 फीसदी से बढ़कर 14.0 फीसदी पर पहुंच गई। 1950 और 2015 के बीच, भारत में मुस्लिम आबादी की हिस्सेदारी में 43.15 फीसदी की वृद्धि हुई, ईसाइयों की संख्या में 5.38 फीसदी की वृद्धि हुई वहीं सिखों में 6.58 फीसदी की वृद्धि हुई। इस दौरान बौद्धों की संख्या में भी मामूली वृद्धि देखी गई।