सूरत। मंगलवार को दोपहर में सिविल अस्पताल के कैम्पस में शव ले जाने के बारे में दो भाइयों में मारपीट होने लगी। देखते ही देखले लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई। वहां से कुछ ही दूरी पर पुलिस चौकी थी, पर एक भी पुलिसकर्मी मौके पर दिखाई नहीं दिया।
जानकारी के अनुसार नेपाल का मूल निवासी रूपेश परिया सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता और डभोली में परिवार के साथ रहता था। सोमवार शाम को वह जहांगीरपुरा से डभोली की ओर जा रहा था। रास्ते में ट्रैफिक जाम होने की वजह से रूपेश अपनी बाइक को डिवाइडर से दूसरी ओर ले जा रहा था, तभी अचानक बाइक लेकर गिर गया और उसके सिर में गहरी चोंटे आई। उसे इलाज के लिए सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। जहांगीपुरा ने प्राथमिक कार्रवाई करने के बाद पोस्टमार्टम कराया और शव परिजनों को सौंप दिया। रुपेश के दो भाई शव को घर ले जाने को लेकर अापस में मारपीट करने लगे। पीएम रूम के बाहर 200 लोगों की भीड़ जमा हो गई। इतना हंगामा होने के बाद भी सिविल अस्पताल में मौजूद पुलिस चौकी का एक भी पुलिसकर्मी बाहर नहीं आया। मारपीट जैसे मामलों में भी पुलिस न आए तो सिविल अस्पताल में पुलिस चौकी होने का कोई मतलब ही नहीं है।