नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने पीएम मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के भाषण पर संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया है। भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त (ईसीआई) ने भाजपा और कांग्रेस से 29 अप्रैल को सुबह 11:00 बजे तक जवाब मांगा है।
चुनाव आयेाग ने जनप्रतिनिधि कानून की धारा-77 के तहत दोनों पार्टियों के अध्यक्षों को जवाब देने को कहा है। ज्ञातव्य है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड्के ने प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्ढा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया था। चुनाव आयोग ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को अपने उम्मीदवारों, स्टार प्रचारकों के आचरण की जिम्मेदारी लेनी होगी। खासकर शीर्ष पदों पर बैठे लोगों द्वारा चुनाव प्रचार के दौरान ऐसे भाषण और भी चिंताजनक है और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
चुनाव आयोग की नोटिस पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग द्वारा कांग्रेस को भेजे गए नोटिस पर पार्टी के नेता जयराम रमेश ने कहा कि हमने आयोग में शिकायत की थी। भाजपा जिस प्रकार से धर्म का उपयोग या दुरुपयोग कर रही है, हम इसका जवाब देंगे।
चुनाव आयोग ने इसलिए भेजा नोटिस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 अप्रैल को राजस्थान के बांसवाडा में एक रैली के दौरान कहा था कि कांग्रेस सत्ता में आई तो लोगों की संपत्ति ले लेगी और उसे ज्यादा बच्चों वाले और घुसपैठियों में बांट देगी। पीएम मोदी ने कहा था कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में लिखा है कि सरकार बनने के बाद मां-बहनों के सोने(गोल्ड) का हिसाब करेंगे और उसकी जानकारी लेंगे। पीएम ने मनमोहन सिंह के उस बयान का भी जिक्र किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है। पीएम मोदी के इस बयान पर कांग्रेस ने चुनाव आयोग में शिकायत की थी। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी पर आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया था।
दूसरी ओर भाजपा ने भी राहुल गांधी के खिलाफ उनकी रैलियों में भाषा और शब्दों के इस्तेमाल को लेकर चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी ने भाषा के आधार पर तमिलनाडु में लोगों को गुमराह करने की कोशिश की है। भाजपा नेताओं ने दावा किया कि राहुल गांधी अपने भाषणों में भाषा के आधार पर उत्तर और दक्षिण भारत को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा ने अपनी लिखित शिकायत में राहुल गांधी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।