नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्र की मोदी सरकार की ओर लाए गए तीन नए कानूनों की तारीफ की है। वह नए कानूनों को लेकर आयोजित एक प्रेस काॅन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। सीजेआई ने कहा कि तीनों नए कानून समाज के लिए बेहद जरूरी हैं। सीजेआई ने कहा कि संसद से इन कानूनों का पास होना एक स्पष्ट संकेत है कि भारत बदल रहा है और आगे बढ़ रहा है, मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए नए कानूनी जरूरतों को अपना रहा है।
तीनों नए कानून- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 21 दिसंबर को संसद से पास हुए थे और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर को इसे मंजूरी दी थी। ये कानून आगामी 1 जुलाई 2024 से लागू हो रहे हैं। इनके लागू होने से देश की आपराधिक न्याय प्रणाली पूरी तरह से बदल जाएगी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, अटॉर्नी जरनल आर. वेंकटरमणी और सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता भी मौजूद थे। सीजेआई ने कहा कि पुराने कानूनों की सबसे बड़ी खामी उनका बहुत पुराना होना था। ये कानून 1860, 1973 से चले आ रहे थे। उन्होंने कहा कि नए कानूनों के अनुसार छापेमारी के दौरान साक्ष्यों की ऑडियो विजुअल रिकॉर्डिंग होगी, जो अभियोजन पक्ष के साथ-साथ नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में ट्रायल और फैसले के लिए टाइमलाइन तय होना सुखद बदलाव है। उन्होंने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में कहा गया है कि ट्रायल 3 साल में पूरा होना चाहिए और फैसला सुरक्षित रखने जाने के 45 दिनाें के भीतर सुनाया जाना चाहिए। अदालत में लंबित मामलों को सुलझाने के लिए यह एक अच्छी पहल है। नए कानून के अनुसार पीड़ित को एफआईआर की कॉपी उपलब्ध करानी होगी और उन्हें जांच की प्रगति के बारे में सूचित करना होगा। हालांकि अपराध के बदलते स्वरुप और नए डिजिटल क्राइम को ध्यान में रखते हुए पुलिस के बुनियादी ढांचे में सुधार की जरूरत है। सीजेआई ने कहा कि नए कानूनों के लिए व्यवहार में बदलाव, मानसिकता में बदलाव और नई संस्थागत व्यवस्था की जरूरत होगी।