Tuesday, March 18, 2025
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हाईकोर्ट ने शेरों की अकाल मौत पर रेलवे प्राधिकरण को फटकार लगाते हुए कहा- जीरो एक्सीडेंट पाॅलिसी बनाओ

अहमदाबाद। गिर के वन-अभयारण्य क्षेत्र में शेरों की मौत को लेकर गुजरात उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और अनिरुद्ध माई की पीठ ने रेलवे अधिकारियों और राज्य सरकार को जीरो एक्सीडेंट पाॅलिसी लागू करने का आग्रह किया।
हाईकोर्ट ने रेलवे अथॉरिटी को फटकार लगाते हुए साफ शब्दों में चेतावनी दी कि मानवीय संवेदनहीनता के कारण कई शेरों की असमय मौत हो चुकी है। अब कोर्ट इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। आप जानते हैं एक शेर को खोने के बाद दूसरे के तैयार होने में कितना समय लगता है। जनवरी में दो शेरों की आकस्मिक मौत हो गई थी, जो काफी गंभीर मसला है। शेर इस देश की शान हैं। इसलिए रेलवे और वन विभाग साथ मिलकर दिशानिर्देश तैयार करें ताकि
शेरों की दुर्घटनाओं और असामयिक मौतों को शून्य पर लाया जा सके।
हाईकोर्ट ने कहा कि रेलवे अथाॅरिटी के वकील अधिकारियों को बचाने की कोशिश न करें, बल्कि अदालत में जीरो एक्सीडेंट पॉलिसी का प्लान पेश करें। रेलवे अथॉरिटी अपनी जिम्मेदारी वन विभाग या अन्य विभाग पर नहीं थोप सकता है। रेलवे अथॉरिटी वन विभाग के साथ मिलकर पाॅलिसी बनाए, शेरों की असमय मौतों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। खंडपीड ने सरकार और रेलवे अथॉरिटी को चेतावनी देते हुए कहा कि शेर तय करेंगे कि उन्हें किस इलाके में रहना है, आखिर शेर जंगल के राजा हैं।
रेलवे अथॉरिटी द्वारा जांच रिपोर्ट पेश न करने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि शेरों को बचाने के मुद्दे पर रेलवे ने कुछ नहीं किया है। हाईकोर्ट ने रेलवे की सभी दलीलों को खारिज कर दिया और जांच रिपोर्ट, विशेष जानकारी के बगैर हलफनामा को स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने रेलवे प्राधिकरण को विस्तृत स्पष्टीकरण और जानकारी के साथ नया हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई अप्रैल में होगी।

जंगल से होकर गुजरने वाली 150 हेक्टेयर ब्रॉडगेज परियोजना रद्द
कोर्ट असिस्टेंट हेमांग शाह ने बताया कि गिर जंगल से गुजरने वाली प्राकृतिक गैस पाइपलाइन परियोजना को रोक दिया गया है। जंगल से होकर गुजरने वाली 150 हेक्टेयर की ब्रॉडगेज परियोजना भी रद्द कर दी गई है। वेरावल, विसावदर और तलाला में गेज परिवर्तन किया जा रहा है। इसके लिए राज्य और राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से अनुमति लेना आवश्यक है। रेलवे बोर्ड से कोई क्लीयरेंस नहीं मिला है। ये आमान परिवर्तन जूनागढ़ से विसावदर, खिजड़िया से विसावदर और विसावदर से तलाला तक है। शेरों का दायरा बढ़ गया है। वे अमरेली तक पहुंच गए हैं। ब्रॉडगेज रेलवे लाइनों पर भी शेरों की दुर्घटनाएं होती रहती हैं। कोर्ट असिस्टेंट की ओर से कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए गए।
हाईकोर्ट ने केस की सुनवाई के दौरान रेलवे अथॉरिटी के रवैये पर नाराजगी जताते हुए चेतावनी दी कि रेलवे प्राधिकरण ठीक से काम नहीं करता है, तो अदालत को गिर जंगल से गुजरने वाली सभी मालगाड़ियों के मार्ग में परिवर्तन करने का आदेश देना होगा। हाईकोर्ट ने रेलवे से साफ शब्दों में कहा कि जो करना है करो, लेकिन जीरो एक्सीडेंट पॉलिसी बनाओ और उसे सख्ती से लागू करो ताकि शेरों की अकाल माैत न हो।

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