महेसाणा। होली रंगों का त्योहार है। लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल डालकर होली खेलते हैं। देश के हर राज्य में होली मनाने का तरीका अलग-अलग है। गुजरात में मेहसाणा के विसनगर में हर साल धुलेटी को अनोखे तरीके से मनाया जाता है। पिछले 200 साल से यह अनोखी प्रथा चली आ रही है। विसनगर में धुलेटी के दिन रंग या अबीर-गुलाल से नहीं, बल्कि एक-दूसरे को जूते-चप्पल और सब्जी से मारकर होली मनाई जाती है। विसनगर के लोग इसे “खासडा युद्ध’ के रूप में जानते हैं। ऐसी मान्यता है कि जिसे “खासडा’ लगता है उसका साल अच्छा जाता है।
विसनगर के मंडी बाजार में धुलेटी के दिन 200 साल से “खासडा युद्ध’ की प्रथा चली आ रही है। हालांकि समय के साथ “खासड़ा’ भी बदल गया और इसका स्थान आलू, प्याज, बैगन, सड़े टमाटर ने ले लिया है। मंडी बाजार के उत्तर विभाग में रहने वाले मोदी, ठाकुर और पटेल समाज तथा दक्षिण विभाग के ब्राह्मण, कंसारा और बनिया समाज के लोग इकट्ठा होते हैं। दोनों गुटों के लोग एक-दूसरे पर सब्जी फेंकते हैं। देखते ही देखते भीड़ युद्ध के रूप में बदल जाता है। इसके बाद चौराहे पर खजूर से भरे बर्तन को पाने के लिए दोनों गुटों के बीच झड़प होती है। युद्ध खत्म होने के बाद विजेता समूह पूरे इलाके में घर-घर जाकर खजूर की उगाही करता है और इसे शहरवासियों को बांटता है।
“खासडा युद्ध’ की प्रथा महाराष्ट्र से शुरू हुई। उस समय गुजरात मुंबई राज्य में था। मुंबई से यह प्रथा महेसाणा आ गई और आज तक कायम है। इसमें बदलाव इतना आया है कि “खासडा’ का स्थान सब्जी ने ले लिया है। आम दिनाें में सड़े टमाटर या सब्जी से मारने पर झगड़ा हो जाता है, पर होली पर विसनगर में सब्जी से मारने की छूट है। लोग खुश होकर “खासड़ा’ की मार खाते हैं, ताकि उनका साल अच्छा बीते।