Saturday, March 15, 2025
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होली पर खाई जाने वाली गुझिया का दिलचस्प इतिहास है, 16-17वीं सदी में बुंदेलखंड में हुई उत्पत्ति

होली रंगों का त्योहार है। इसे देशभर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। होली के दिन लोग रंग, गुलाल खेलने के लिए एक दूसरे के घर जाते हैं, तब उन्हें खाने के लिए स्वादिष्ट व्यंजन परोसे जाते हैं। इन्हीं स्वादिष्ट व्यंजनों में एक है गुझिया। होली पर हर घर में गुझिया बनाई जाती है और लोग इसे बड़े ही चाव से खाते हैं। गुझिया को अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
गुझिया के बगैर होली का त्योहार अधूरा माना जाता है। इसे होली पर स्पेशल बनाया जाता है। कुछ लोग सोचते होंगे कि यह व्यंजन भी अन्य व्यंजनों की तरह विदेश से ही आया होगा, लेकिन ऐसा नहीं है गुझिया शुद्ध भारतीय व्यंजन है। नंदिता अय्यर ने “द ग्रेट इंडियन थाली’ नामक अपनी पुस्तक में गुझिया का उल्लेख किया है। यह पुस्तक सितंबर-2022 में प्रकाशित हुई थी। भारतीय सैकड़ों सालों से गुझिया खाते आ रहे हैं, लेकिन इसके इतिहास के बारे में बहुत कम जानते हैं। आमतौर पर इसका कहीं कोई उल्लेख नहीं है।

गुझिया की उत्पत्ति 16-17वीं सदी में उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड से हुई
गुझिया के बारे में थोड़ी सी जानकारी मिलती है, जो 13वीं सदी की है। गुड़ और सोंठ को आटे में भरकर बनाने का उल्लेख मिलता है। एक अन्य जानकारी के अनुसार गुझिया की मूल उत्पत्ति उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड बताया जाता है, इसका समय 16-17वीं सदी के बीच का है। इसके अलावा गुझिया के बारे में अन्य कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।

अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जानी जाती है
उत्तर प्रदेश में इसे गुझिया कहते हैं। गुजरात में घुघरा, छत्तीसगढ़ में कुसली, महाराष्ट्र में करंजी, बिहार में पिडकी, कर्नाटक में कारीगाडुबु, तमिलनाडु में सोमासी और आंध्र प्रदेश में काजिकयालू कहते हैं। एक जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में होली के अलावा दिवाली पर भी गुझिया बनाने की प्रथा है।

आटे के अंदर मेवा और खोआ भरकर तेल में उबालते हैं
गुझिया कई प्रकार से बनाई जाती है। प्राचीन काल में आटे के अंदर गुड़ और सोंठ भरकर बनाई जाती थी। उत्तर प्रदेश के अधिकांश जिलों में आज भी यह प्रथा चली आ रही है। होली, दिवाली और नाग पंचमी पर गुझिया बनाई जाती है। समय के साथ गुझिया बनाने की कला भी बदल गई है। अब आटे की जगह मैदा इस्तेमाल होने लगा है और गुड़, सोंठ की जगह सूखे मेवे और खोआ भरकर बनाया जाने लगा है।

होली पर गुझिया बनाने का इतिहास बहुत पुराना है
ऐसा माना जाता है कि होली पर गुझिया बनाकर सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण का भोग लगाया गया था। इसका चलन ब्रज से आया और पहली बार गुझिया भी वहीं बनाई गई थी। इसके बाद से यह होली का मुख्य व्यंजन बन गया। अब धीरे-धीरे दिवाली समेत हर त्योहारों का मुख्य हिस्सा बन गई है।

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