गांधीनगर। गुजरात सरकार पर कर्ज और अन्य देनदारियों का आंकड़ा बढ़कर 4.12 लाख करोड़ हो गया है। इसमें से सरकारी कर्ज की रकम 3 लाख 25 हजार 273 करोड़ है। कैग (CAG: कम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया) की रिपोर्ट के मुताबिक ऑडिट वर्ष में सरकार ने 43 हजार करोड़ का बाजार कर्ज लिया है, जबकि 14 हजार 700 करोड़ का कर्ज चुकाया है। 31 मार्च 2023 के अंत में बाजार कर्ज का आंकड़ा 2 लाख 83 हजार 57 करोड़ तक पहुंच गया है। एक साल में कर्ज और देनदारी में 1 लाख 17 हजार 751.56 करोड़ की बढ़ाेतरी हुई है, जबकि 86 हजार 170.83 करोड़ की भरपाई की गई है। सरकार ने ऑडिट वर्ष में सार्वजनिक ऋण, अल्प बचत, भविष्य निधि आदि में 24 हजार 224.85 करोड़ तथा अन्य देनदारियों समेत 25 हजार 353.68 करोड़ का ब्याज चुकाया है।
वित्त मंत्री कनुभाई देसाई ने बताया कि नियमानुसार राज्य अपनी जीडीपी का 27 फीसदी हिस्सा उधार ले सकते हैं, जबकि गुजरात ने सिर्फ 15 फीसदी उधार लिया है। राज्य पर 3 लाख 20812 करोड़ का कर्ज है, वर्ष 2021-22 में सरकार ने विभिन्न ऋणदाताओं को रु. 23063 करोड़ ब्याज चुकाया। गुजरात सरकार पर केंद्र सरकार के कर के रूप में रु. 9136 करोड़ का कर्ज है। राज्य सरकार ने पिछले वित्तीय वर्ष में पेट्रोल पर रु. 12048 करोड़, डीजल पर रु. 26682 करोड़, सीएनजी पर रु. 389 करोड़ और पीएनजी पर रु. 126 करोड़ टैक्स वसूला था। राज्य में पेट्रोल पर 13.7 फीसदी जबकि डीजल पर 14.9 फीसदी राज्य टैक्स लगता है।
उधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अर्जुन मोढवाडिया ने गुजरात सरकार पर आर्थिक प्रबंधन में विफल रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि चालू वित्तीय वर्ष में राज्य पर 4.17 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। सरकार राजस्व का 45 फीसदी हिस्सा ब्याज, वेतन और पेंशन देने में खर्च कर रही है। सरकार पर बिजली उत्पादन में कटौती करके निजी बिजली आपूर्तिकर्ताओं को करोड़ों रुपये का मुनाफा पहुंचाने का भी आरोप लगाया है।