अजमेर। अजमेर की टाडा कोर्ट ने 1993 के बम ब्लास्ट मामले में मुख्य आरोपी अब्दुल करीम टुंडा को बरी कर दिया है। टाडा कोर्ट ने कहा कि टुंडा के खिलाफ कोई सबूत नहीं पाए गए हैं। पिछले 30 सालों से टाडा कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही थी। गुरुवार को सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जहां-जहां ब्लास्ट हुए हैं वहां टुंडा के होने के कोई सबूत नहीं पाए गए हैं। इसी के साथ टाडा कोर्ट ने इरफान और हमीद्दीन को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद 1993 में कोटा, लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई की ट्रेनों में सिलेसिलेवार बम ब्लास्ट हुए थे। टुंडा इन बम ब्लास्ट में मुख्य आरोपी था। टुंडा को 2013 में नेपाल बार्डर से गिरफ्तार किया गया था। बताया जाता है कि गन चलाते समय उसका एक हाथ उड़ गया था, तभी से उसका नाम टुंडा पड़ गया था।
अब्दुल करीम टुंडा बढ़ई का काम करता था। पिता की मौत होने के बाद उसने कबाड़ी का काम शुरू किया। इसी बीच वह आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और आईएसआई के संपर्क में अाया। बताया जाता है कि टुंडा ने 65 साल की उम्र में 18 साल की लड़की से तीसरा विवाह किया था। फिलहाल अब्दुल करीम टुंडा अजमेर की जेल में है।