शिमला। हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद सियासी उठापटक तेज हो गया है। वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि मैंने प्रियंका गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष खडगे को इस बारे में अवगत करा दिया है। कभी-कभी कठोर निर्णय लेने पड़ते हैं। इससे हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार संकट में आ गई है। पार्टी के छह विधायक बागी हो गए हैं। सरकार को बचाने के लिए नई चाल चली जा रही है।
विक्रमादित्य सिंह ने मीडिया के सामने अपनी बात रखते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदन सिंह सुक्खू पर कई आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि यहां विधायकों की शिकायतों का कोई समाधान नहीं होता है। विधायकों की लगातार अनदेखी की जा रही है, इसका यह नतीजा है कि हम राज्य सभा चुनाव हार गए हैं।
विक्रमादित्य सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे अपने पिता वीरभद्र सिंह के अपमान का आरोप लगाते हुए कहा कि जो व्यक्ति छह बार मुख्यमंत्री रहा, जिसकी वजह से यह सरकार बनी, उसकी मूर्ति लगाने के लिए दो गज जमीन तक नहीं मिली। हम इमोशनल लोग हैं, हमें पद से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि एक साल के कार्यकाल में हमने सरकार का पूरा समर्थन किया, इसके बावजूद मुझे अपमानित करने की कोशिश की गई।
विक्रमादित्य के इस्तीफा देने के बाद सुक्खू सरकार के अल्पमत में आने का खतरा मंडराने लगा है। कांग्रेस ने डैमेज कंट्रोल करने के लिए कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और हरियाणा के पूर्व सीएम हुड्डा को पर्यवेक्षक बनाकर भेजा है।
भाजपा के 15 विधायक सस्पेंड
विधानसभा अध्यक्ष ने पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर समेत भाजपा के 15 विधायकों को सस्पेंड कर दिया गया है। विधानसभा अध्यक्ष का कहना है कि सदन में हंगामा और नारेबाजी करने पर एक्शन लिया गया है। वहीं, भाजपा इसे अन्यायपूर्ण कार्रवाई बता रही है। सदन की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित कर दी गई।