नई दिल्ली। आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान में आटा-दाल की कीमतें आसमान छू रही हैं। पाकिस्तान को अब पानी के लिए भी तरसना पड़ेगा। भारत ने रावी पर बांध बनाकर पाकिस्तान जाने वाले पानी को रोक दिया है। पंजाब के पठानकोट जिले में स्थित शाहपुर कंडी बैराज जम्मू-कश्मीर और पंजाब के बीच विवाद के कारण अटक पड़ा था। इस वजह से रावी नदी का अधिकांश पानी बहकर पाकिस्तान चला जाता था।
1960 के सिंधु जल संधि के अनुसार रावी, सतलुज और व्यास नदियों पर भारत का विशेषाधिकार है। वहीं, सिंधु, झेलम और चिनाब पाकिस्तान के अधिकारक्षेत्र में हैं। 1979 में पंजाब और जम्मू कश्मीर सरकार ने रंजीत सागर डैम और डाउनस्ट्रीम में शाहपुर कंडी बैराज बनाने के करार पर हस्ताक्षर किए थे। 1982 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी। इसे 1998 तक पूरा होना था। रंजीत सागर डैम 2001 में बनकर तैयार हो गया था। शाहपुर कंडी बैराज का काम बीच में ही अटक गया था और रावी नदी का पानी बहकर पाकिस्तान चला जाता था। 2008 में शाहपुर कुंडी बैराज को राष्ट्रीय प्रोजेक्ट घोषित किया गया था। हालांकि 2013 में इसका निर्माण शुरू हुआ। 2014 में पंजाब और जम्मू-कश्मीर में विवाद के चलते प्रोजेक्ट को फिर से रोक दिया गया। 2018 में केंद्र ने दोनों सरकारों के बीच समझौता करवाकर डैम का काम फिर से शुरू कराया। अब डैम बनकर तैयार हो गया है। रावी नदी का जो पानी बहकर पाकिस्तान जाता था, अब उसका इस्तेमाल जम्मू के कठुआ और सांबा में खेतों की सिंचाई के लिए होगा। बांध से उत्पन्न जलविद्युत का 20 प्रतिशत हिस्सा जम्मू-कश्मीर को मिल सकेगा। शाहपुर कंडी बैराज में 206 मेगावाट की क्षमता वाली दो जलविद्युत संयंत्र परियोजनाएं शामिल हैं। यह रंजीत सागर बांध परियोजना से 11 किमी नीचे रावी नदी पर बनाया गया है। बांध के पानी से जम्मू-कश्मीर के अलावा पंजाब और राजस्थान को भी फायदा होगा।
पाकिस्तान का दाना-पानी सब बंद, रावी नदी पर बांध बनने से 3 राज्यों को फायदा
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