मुंबई। मशहूर गजल गायक पंकज उधास का 72 साल की उम्र में निधन हो गया। उनकी बेटी नायाब उधास ने इसकी पुष्टि की है। वह लंबे समय से बीमार थे। पंकज उधास से सोमवार को सुबह 11 बजे ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। गजल गायक की मौत भारतीय संगीत के लिए अपूरणीय क्षति है। उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को होगा।
गजल को लोकप्रिय संगीत की शैली में लाने का श्रेय पंकज उधास को जाता है। 1986 में संजय दत्त अभिनीत फिल्म “नाम’ का एक गीत बहुत लोकप्रिय हुआ था। गीत के बोल हैं- चिट्ठी आई है…। पंकज उधास गजल गायकी की शुरुआत कर रहे थे, वह तब इतने लोकप्रिय नहीं थे। पंकज उधास का सूरत से बहुत गहरा नाता रहा है। सूरत के पूर्व मेयर और सप्तर्षि संस्था के कदीर पीरजादा ने बताया कि कवि, गजलकार अमर पालनपुरी से संपर्क करके पंकज उधास का पहला कार्यक्रम 9 मई, 1981 में नानपुरा, गांधी स्मृति भवन में कराया गया था। उस दौरान सप्तर्षि संस्था ने अनूप जलोटा और पंकज उधास को कार्यक्रम में आमंत्रित किया था। उन दिनों पंकज उधास को केवल 3000 रुपए दिया गया था। इसके 4-5 साल बाद पंकज उधास को फिर सूरत बुलाया गया और उन्हें 15,000 चुकाए गए थे। “नाम’ फिल्म की गीत “चिट्ठी आई है’ के बाद पंकज उधास ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद वह गजल गायकी में लोकप्रिय होते चले गए।
पंकज उधास का जन्म 17 मई 1951 में राजकोट जिले में जेतपुर के नजदीक चरखड़ी गांव में हुआ था। वे केशूभाई और जीतूबेन की तीसरी संतान थे। पंकज उधास के दादा जमींदार थे और गांव के पहले स्नातक थे। वह भावनगर स्टेट के दीवान भी रहे। पंकज उधास तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। उनके बड़े भाई मनहर उधास, निर्मल उधास भी गायक हैं। हालांकि सबसे पहले पंकज उधास ने गाने की शुरुआत की थी।
पंकज उधास ने प्रारंभिक पढ़ाई अपने गांव में शुरू की। इसके बाद जेतपुर कमरीबाई हाईस्कूल और फिर भावनगर बीपीटीआई से पढ़ाई की। इसी बीच उनके पिता केशूभाई परिवार के साथ मुंबई जाकर बस गए। पंकज उधास ने मुंबई के सेंट जेवियर्स स्कूल में पढ़ाई पूरी की। पंकज उधास को अपने गांव से बहुत लगाव था। चरखड़ी गांव में पंकज उधास का पैतृक मकान भी है।
