Saturday, March 15, 2025
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रांदेर थाने में गरीबी का रोना रोने आया था, पुलिस ने ऐसी मदद की, कि कमाने का नया जरिया मिल गया

सूरत। आमतौर पर थाने में लोग मारपीट, चोरी या किसी के खिलाफ केस दर्ज कराने आते हैं। रांदेर थाने में एक ऐसा मामला आया है कि पुलिस की जितनी सराहना की जाए कम है। एक युवक अपनी गरीबी का रोना रोने आया था, पुलिस ने ऐसा काम किया जिसे सुनकर हर कोई खुशी के मारे उछल पड़ेगा।
गोपीपुरा के माेमनावाड़ में रहने वाले 44 साल के मकबूल कांगोलिया को गरीबी ने ऐसे जकड़ा कि आत्महत्या करने के अलावा उसके पास दूसरा कोई चारा नहीं था। आर्थिक तंगी से परिवार एक-एक दाने को तरस रहा था। मकबूल कांगोलिया रांदेर थाने में आया और थाना प्रभारी जेटी सोनारा को अपनी दुखभरी कहानी सुनाई। उसकी गरीबी-परेशानी सुनकर थाना प्रभारी का भी दिल पसीज गया, उन्होंने तुरंत अपने स्टाफ को बुलाया और मकबूल की हर तरह से मदद करने काे कहा।

ये है पूरा मामला: मकबूल के पास एम्ब्रॉयडरी का कारखाना था, दोस्त ने सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया
मकबूल के पास आजणा फार्म में एम्ब्रॉयडरी का कारखाना था, उसमें 30 मशीनें थी। कारोबार अच्छा चल रहा था। अडाजण पाटिया में उसका मकान था। मकबूल बुजुर्ग मां, पत्नी और चार बच्चों के साथ खुशहाल जिंदगी जी रहा था। उसके दोस्त को उसकी खुशी देखी नहीं गई। उसने ऐसी चाल चली कि मकबूल का एम्ब्रॉयडरी का कारखाना, मशीनें, मकान सब कुछ बिक गया। कमाई का जरिया खत्म हो गया। पूरा परिवार सड़क पर आ गया। मकबूल अपनी मां, पत्नी और बच्चों को लेकर किराए के मकान में रहने लगा। गरीबी ने ऐसे घेरा कि पूरा परिवार एक-एक दाने को मोहताज हो गया। न नौकरी मिल रही थी, न कोई धंधा सुझाई दे रहा था। परिवार की हालत देखकर उसके मन में आत्महत्या करने का ख्याल आने लगा। वह अपना दुखड़ा लेकर रांदेर थाने पहुंच गया। उसे लग रहा था कि पुलिस के पास इसका कोई न कोई हल जरूर होगा। उसका अंदाजा सही निकला। पुलिस ने उसकी ऐसी मदद की, कि वह फिर से अपने परिवार को खुश रख सकेगा।

रांदेर पुलिस ने ऐसे की मदद: सामाजिक संस्था की मदद से लोन पर ऑटोरिक्शा दिलाया
मकबूल की दुखभरी कहानी सुनने के बाद रांदेर पुलिस ने तुरंत एक सामाजिक संस्था से संपर्क किया। पुलिस ने लेट यूनुस ओरावाला फाउंडेशन के जुनैद ओरावाला से चर्चा करने के बाद मकबूल को लोन पर एक नया ऑटोरिक्शा दिलाया। मकबूल ने लोन के लिए सारी कागजी कार्यवाही पूरी की। लोन पर आॅटोरिक्शा पाकर बहुत खुश है। पुलिस से प्रयास से मकबूल फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो सकेगा। आॅटोरिक्शा चलाकर मां, पत्नी और बच्चों को खुश रख सकेगा। मकबूल की मदद करने के लिए पुलिस की जितनी सराहना की जाए कम है।

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