सूरत। माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी कहा जाता है। इस दिन ज्ञान और कला की देवी सरस्वती का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है। मां सरस्वती की पूजा करने से जीवन के सारे अंधकार मिट जाते हैं। बसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है। शादी-विवाह और शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना गया है। बसंत पंचमी के दिन सरस्वती की पूजा करने से कैरियर में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
इस साल बसंत पंचमी 13 फरवरी को दोपहर 2:41 बजे से 14 फरवरी को दोपहर 12:09 बजे तक रहेगी। बसंत पंचमी पर्व 14 फरवरी को मनाया जाएगा। बुधवार को सुबह 7 से दोपहर 12:00 बजे तक सरस्वती की पूजा करने का शुभ मुहूर्त है। साधक शुद्ध होकर स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूरब की ओर मुख करके मां सरस्वती की पूजा करें। मां को चंदन, पीले पुष्प अर्पित करके प्रसाद चढ़ाएं।
बसंत पंचमी पर इस बार शुभ योग, रवि योग, शुक्ल योग समेत कई फलदायी योग बन रहे हैं। मनोकामना की पूर्ति के लिए “ऊं ऐं वाग्देव्ये विद्महे धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात’ अथवा “ऊं एें सरस्वत्ये नम:’ मंत्र का 108 बार जाप करें। सरस्वती की इस प्रकार वंदना भी कर सकते हैं-
या कुंदेंदुतुषारहारधवला, या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणा वर दण्डमण्डित करा, या श्वेत पद्मासना।
या ब्रहमाऽच्युत शंकर: प्रभृतिर्भि: देवै: सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती, नि:शेषजाड्यापहा।।