भावनगर। शीत ऋतु में स्वामी नारायण संप्रदाय में शाकोत्सव का विशेष महत्व है। पिछले 200 साल से यह परंपरा चली आ रही है। सर्दी के मौसम में बैगन की पैदावार अधिक होती है। इस मौसम में भरवां बैंगन, भुर्ता स्वाद ही कुछ अनोखा होता है, बैंगन को सर्दियों की मिठाई भी माना जाता है। भगवान स्वामी नारायण ने आज से 200 साल पहले संवत 1879 में पौष की पूर्णिमा पर लोया गांव में श्रीजी महाराज के सखा सुराबापू खाचर के दरबार में उनके साथ 500 परमहंसों और हजार हरिभक्तों को दो महीने तक बैगन की सब्जी बनाकर खिलाया था। इसके बाद से ही शाकोत्सव की शुरुआत हुई। स्वामी नारायण संप्रदाय में यह एक विशेष परंपरा बन गई है। गोहिलवाड के स्वामी नारायण मंदिर में सर्दियों के मौसम में बैगन की सब्जी बनाकर शाकोत्सव मनाया जाता है। इस दौरान सत्संग सभा भी आयोजित की जाने लगी है, जिसमें हरिभक्त भारी संख्या में इकट्ठा होते हैं। संतों की सभा में कथा, अखंड धुन आयोजित होती है।