Saturday, March 15, 2025
Homeराजकोटवन विभाग ने अगरियाओं को रापर के घुड़खर अभ्यारण्य में जाने से...

वन विभाग ने अगरियाओं को रापर के घुड़खर अभ्यारण्य में जाने से रोका, नमक बनाने वाले 15 हजार अगरियाओं के सामने राेजी-रोटी का खतरा

भुज। रापर में घुड़खर अभ्यारण्य घोषित करने से क्यारियों में नमक बनाने वालों के सामने राेजी-रोटी का सवाल खड़ा हो गया है। रापर के रण में वर्षों से नमक बनाकर गुजर बसर करने वालों को वन विभाग ने जाने से रोक दिया। इससे नमक बनाने वालों में भारी आक्रोश है। अगरियाओ(क्यारियों में नमक बनाने वाले) ने रण में जाने की छूट देने की मांग की है। रापर के छोटे-छोटे अगरिया पारंपरिक रूप से नमक पकाकर अपनी आजीविका कमाते हैं। यहां के रण में खेती नहीं होती है। अगरिया बाप-दादा के जमाने से ही क्यारियों में नमक बनाकर अपनी आजीविका चलाते हैं। छोटे और दस-दस एकड़ के पट्‌टे वाले अगरियाओं को वन विभाग ने रण में जाने से रोक दिया है। घुड़खर अभ्यारण्य के कारण रापर काे आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है। रापर के आडेसर, वरणु, सुखपर, टगा, पंडयागढ़, जिलानी नगर, मेघासरा वांढ, कायावांढ, वीडीवांढ, बाभणसर, वीजापर, नादा, लखागढ, भूरावांढ, मांडविया के छोटे-छोटे अगरियाओं ने इकट्‌ठा होकर वन विभाग के अधिकारियों को ज्ञापन देकर रण में नमक बनाने की छूट देने की मांग की है। कच्छ का रण सूरजबारी से लेकर सांतलपुर तक फैला हुआ है।

क्या हैं घुड़खर
घुड़खर एक प्रकार का जंगली गधा है। घुड़ यानी घोड़ा और खर यानी गधा। इसे गुजरात का जंगली गधा भी कहा जाता है। भारत में केवल गुजरात के कच्छ में पाया जाता है। कच्छ के रण में घुड़खर के लिए 4954 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में अभ्यारण्य बनाया गया है, जो भारत का सबसे बड़ा अभ्यारण्य है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments